के० एस० टी०,कानपुर संवाददाता।कोरोना की विकराल तस्वीर कानपुर के भैरव व भगवत दास घाट पर देखी जा सकती है। एक साथ जलती चिताएं दिल को दहला रही हैं‚ ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा गया। कोरोना की दूसरी लहर में यह ह्दय विदारक मंजर देखकर लोगों मे खौफ व्याप्त है। लोग त्राहि–त्राहि कर रहे हैं। श्मशान घाट हो या फिर कब्रिस्तान‚
लोगों की लाइन लगी है। शवों को ढ़ोने के लिए एंबुलेंस नहीं बची हैं। लोग अपने प्राइवेट वाहनों से शवों को लेकर घाट पहुंच रहे हैं। आलम यह है कि मुक्ति धाम में शवों को मुखाग्नि देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लकड़िया भी खत्म होने की कगार पर हैं। शनिवार को भैरवघाट में स्थित शमशान घाट में 60 से 65 शवों का अंतिम संस्कार किया गया।
विद्युत घाट में मौजूद रजिस्टर के मुताबिक 16 कोरोना पॉजिटिव लोगों का दाहसंस्कार किया गया‚ जबकि घाट पर पहुंचे नॉन कोविड़ शवों का अंतिम संस्कार किया गया। अभी तक शाम सात बजे के बाद शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता था लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते रात में 12 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक जैसे ही शव मिलता है उसे फूंक दिया जाता है।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शवों को जलाने के लिए लकड़़ी तक खत्म हो रही है अगर लकड़़ी की व्यवस्था नहीं हुई तो किसी भी शव का अंतिम संस्कार नहीं हो सकेगा। एंबुलेंस न मिलने के कारण लोगों को प्राइवेट वाहनों से शवों को लाना पड़़ रहा है। घाटों पर एक साथ शवों के आने के कारण उनको फूंकने में भी समस्या आ रही है। पंडे़ शवों की भी कतार लगा रहे हैं।
पहले आने वाले शवों को पहले फूंका जा रहा है। अपने शव की बारी मेंं लोग इंतजार करते देखे जा रहे हैं। जैसे ही रात में मौका मिलता है वहां मौजूद पंड़ा शव का अंतिम संस्कार करा देते हैं। शनिवार की रात करीब 20 चिताओं को एक साथ जलती देख लोगों की रूहें कांप गई। जिसके बाद लोग कोरोना के खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं।