ग्रीन जोन में बटा दिल्ली और मुंबई

नई दिल्ली, संवाददाता। जानलेवा वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस लॉकडाउन ने पूरे देश की रफ्तार थाम कर रख दी है। इसके चलते कई समस्याएं भी सामने आई हैं लेकिन कोरोना के प्रसार को रोकने के साथ-साथ यह पर्यावरण की रिपेयरिंग भी कर रहा है। दरअसल, लॉकडाउन को एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है इस दौरान न सड़कों पर गाड़ियां दौड़ रही हैं न फैक्टरियों की चिमनियां जहरीला धुआं उगल रही हैं। इसी का परिणाम देखने को मिला है कि देश की राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई के कुछ सबसे प्रदूषित क्षेत्र अब ग्रीन जोन (हरित क्षेत्र) में परिवर्तित हो गए हैं। इन जगहों पर लॉकडाउन से पहले के मुकाबले काफी कम प्रदूषण रिकॉर्ड किया गया है या नहीं के बराबर रिकॉर्ड किया गया है। केद्र सरकार की ओर से संचालित वायु गुणवत्ता, मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (सफर) के निदेशक गुफरान बेग ने बताया कि दिल्ली में लॉकडाउन से पहले जो आठ सबसे ज्यादा प्रदूषित स्थान थे वो अब ग्रीन जोन बन गए हैं। उन्होंने बताया कि इन क्षेत्रों में विनोबापुरी, आदर्श नगर, वसुंधरा, साहिबाबाद, आश्रम रोड, पंजाबी बाग, ओखला और बदरपुर शामिल हैं। बेग ने लॉकडाउन से पहले और इसके दौरान का दिल्ली के वायु प्रदूषण का व्यापक नक्शा भी साझा किया। वहीं, मुंबई में वर्ली, बोरीवली और भांडुप इलाकों में मुंबई महानगर क्षेत्र के अन्य इलाकों कि तुलना में स्वच्छ हवा दर्ज की गई है। दिल्ली और मुंबई के प्रदूषण के इन हॉटस्पॉट में मुख्य रूप से औद्योगिक गतिविधियां या यातायात के कारण ज्यादा प्रदूषण होता था। इन क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अब ‘अच्छी’ या ‘संतोषजनक’ श्रेणी में आता है। एक्यूआई 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401-500 को ‘गंभीर’ माना जाता है। सफर ने हवा में पीएम 2.5, पीएम 10 और एनओ2 (नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड) जैसे खतरनाक प्रदूषकों की तुलना लॉकडाउन से पहले एक से 21 मार्च और लॉकडाउन के दौरान 25 मार्च से 14 अप्रैल से भी की है। यह विश्लेषण दिल्ली, मुंबई, पुणे और अहमदाबाद में किया गया है। दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान पीएम 2.5, 36 फीसदी तक घटा, जबकि पीएम 10 में 43 फीसदी की कमी आई है और गाड़ियों से निकलने वाली नाइट्रस ऑक्साइड में 52 फीसदी की कमी आई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने भी राष्ट्रीय राजधानी में पीएम 2.5 के स्तर में 46 फीसदी की कमी और पीएम 10 के स्तर में 50 फीसदी की कमी दर्ज की है।

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