“नमस्ते इंडिया” में लापरवाही गीत के माध्यम से कोरोना का मजा

∆  Covid-19 का पालन करना तो दूर शिवराजपुर स्थित “नमस्ते इंडिया” उड़ा रहा है जिलाधिकारी के आदेशों की धज्जियां?

∆  चार संक्रमित मरीजों के मिलने के बाद “नमस्ते इंडिया” शिवराजपुर स्थित बंद किये जाने के हुये थे आदेश?

 48 घंटे के भीतर पूरी फर्म को सेनेटाइजर करके साफ-सुथरा करना था?

∆  प्रबधन ममुरली बाबू ने नही मानी कोई शर्त, धड़ल्ले से चलती रही दूध उत्पादो की यूनिट?

 आधी रात्रि के बाद फर्म से निकलना शुरू हुए दूध के टैकर व सप्लाई वाली गाड़िया?

 बंदी अवधि में शहर में दूध आपूर्ति कर क्या प्रबंधन मुरली बाबू समूचे शहर में फैलाना चाहता है कोरोना?

 आखिर लॉकडाउन में स्थानीय थाने से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई?

∆  आधी रात्रि के बाद निकली गाड़ियों को किसी चौराहे पर क्यों नहीं रोका गया? जबकि हर चौराहे पर रात्रिकालीन में रहती है पुलिस पिकेट?

∆  क्या मुरली बाबू के नाम की शहर पुलिस में इतनी बड़ी है धाक?

  पहले भी बड़ी चर्चा में रहे है मुरलीबाबू?

∆  क्या मजाल जो उनकी ओर देख भी सके?

∆  भले ही “नमस्ते इंडिया” प्रबंधन मुरलीबाबू स्वास्थ्यवर्धक के नाम पर अपने कस्टमरो को कोरोना ही क्यों न बांटडाले?

 बड़ी तादाद में पांच,दस रुपये का दूध का पैकेट लेने वाले ग्राहक निम्न वर्ग के ही?

∆  ज्यादा कमीशन के चलते ज्यादातर दुकानदार नमस्ते इंडिया दूध को देते है वरीयता अब इतनी बड़ी साजिश की जिला प्रशासन प्रबंधन को क्या देगा सजा?

  सारा मामला कैमरे में है कैद ऐसे में क्या सफाई देगा “नमस्ते इंडिया” प्रबंधन?

के० एस० टी०,कानपुर संवाददाता। उत्तर प्रदेश की राजधानी समेत कानपुर महानगर में कोरोना महामारी भयावह रूप अख्तियार करता जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा बढ़ाई जा रही टेस्टिंग क्षमता के अनुरूप ही हर दिन के साथ कानपुर महानगर समेत प्रदेश की राजधानी में कोरोना महामारी से ग्रसित मरीजों की संख्या में सैकड़ों का इजाफा होता जा रहा है।

इतना ही नहीं महानगर में वायरस से ग्रसित होने व वाले मरीजों की मौत की दर भी देश में सर्वाधिक रूप से बढ़ रही है। शासन की सख्त नीति और जिला प्रशासन की सक्रियता के दम पर कंटेंटमेंट जोन को पूरी तरह से सील करने का काम चल रहा है लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दिन के उजाले के साथ ही.

महामारी को शहर में परोसे जाने का सिलसिला भी जारी है। आज हम बात करेंगे इस शहर के उस पूंजीपति की, जो अकेले कई वर्षों तक पूरे शहर का पेट पाल सकता है। इस पूंजीपति के द्वारा मुख्यमंत्री राहत कोष, पीएम केयर्स फंड समेत जिला प्रशासन के राहत कोष में महामारी की इस घड़ी में क्या मदद की गई यह तो नहीं पता…

लेकिन फिलहाल यह पूंजीपति शहर के गली कूचे से लेकर कई अन्य जिलों समेत प्रदेश की राजधानी में कोरोना संक्रमण के विस्तार में अपना अभूतपूर्व योगदान देने का काम कर रहे हैं….

◆ कानपुर समेत राजधानी में तेजी से पैर पसार रही कोरोना महामारी, संक्रमण की इस रफ्तार में नमस्ते इंडिया की कितनी भागीदारी?

बात 21 जुलाई, 2020 की है…. जब चौबेपुर स्थित नमस्ते इंडिया की फैक्ट्री में पहला कोरोना संक्रमित मरीज एक कर्मचारी के रूप में निकला जिसके बाद शासन द्वारा तय की गई गाइडलाइंस के मुताबिक, इस पूरे परिसर को सील किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ….

परिणाम स्वरूप संक्रमण का प्रभाव बढ़ा और महामारी से संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 4 पहुंच गया जिसके बाद मीडिया के दबाववश फैक्ट्री के मेन गेट पर 48 घंटों के लिए फैक्ट्री को बंद करने का नोटिस चस्पा करते हुए अखबारों में इश्तिहार दे दिया गया लेकिन हकीकत तो यह थी कि यह फैक्ट्री कभी बंद ही नहीं हुई….

◆ RSPL को यह छूट पड़ सकती है भारी, क्या भूल गया हैं शासन और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी?

30-31 जुलाई की रात हमारी पड़ताल में हमने पाया कि फैक्ट्री का मेन गेट यथावत बंद है जबकि पीछे के गेट से कर्मचारियों का आना और जाना गुपचुप तरीके से जारी है। जैसे-जैसे रात ढल रही थी फैक्ट्री संचालक मुरली बाबू के दिखाए गए झूठ की पोल खुल रही थी।

मध्यरात्रि के बाद से ही फैक्ट्री के अंदर कानपुर समेत आस-पास के जिलों में सप्लाई किए जाने वाले उत्पादों की लोडिंग के लिए गाड़ियों की एक-एक कर एंट्री शुरू हुई और जैसे-जैसे गाड़ियां लोड होती गई उनको एक-एक कर पीछे के गेट से फैक्ट्री से निकाले जाने का सिलसिला शुरू हो गया।

यह गाड़ियां कानपुर शहर के विभिन्न इलाकों, फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी, घाटमपुर, फतेहपुर, इलाहाबाद समेत देश की राजधानी लखनऊ पहुंचनी थी। यह सब कुछ तब हो रहा था जब फैक्ट्री 48 घंटों के सैनिटाइजेशन के लिए बंद थी।

◆ कन्टेंटमेंट जोन के तहत सील का पालन करना तो दूर बल्कि चौबेपुर स्थित नमस्ते इंडिया उड़ा रहा है महामारी अधिनियम की धज्जियां?

सामान्यतः कंटेंटमेंट जोन घोषित होने के 14 दिनों तक आस-पास के लोगों को आइसोलेट किया जाता है लेकिन इसे शासन और प्रशासन की मुरली बाबू पर मेहरबानी ही समझिये कि फैक्ट्री महज 48 घंटों के सैनिटाइजेशन प्रोग्राम के लिए ही बंद दिखाई गई जबकि हकीकत में फैक्ट्री एक क्षण के लिए भी बंद नहीं हुई थी।

◆ बड़ा सवाल- एसडीएम बिल्हौर पर शासन-प्रशासन का दबाव या फिर गार्डों का है अभाव?

इस विषय पर जब हमारी बात एसडीएम बिल्हौर से हुई तो उनके द्वारा मामले की जांच कर कार्यवाही करने को लेकर आश्वस्त किया गया जबकि इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर फरमाएं तो अन्य संस्थानों और फैक्ट्रियों की तरह इसे सीज नहीं किया गया था।

संभवतः जिला प्रशासन के पास बांस बल्ली, रस्सी समेत अन्य सामग्रियों का इतना अभाव था कि सिर्फ ए-4 साइज के पेपर पर बंद लिखते हुए इस फैक्ट्री को बंद दिखा दिया गया इतना ही नहीं गली कूचे में कंटेंटमेंट जोन में पुलिसकर्मियों समेत गार्ड की ड्यूटी प्रशासन की ओर से लगाई गई है लेकिन एसडीएम बिल्हौर के मुताबिक यहा पर ये जिम्मेदारी फैक्ट्री संचालक के गार्डों के सुपुर्द ही की गई थी।

◆ मध्य रात्रि के बाद सिलसिलेवार तरीके से निकलती रही निकलती रही गाड़ियों की फौज, पूरा प्रशासन आंख बंद कर मारता रहा मौज

मध्यरात्रि के बाद से ही नमस्ते इंडिया फैक्ट्री से लगातार रूप से निकल रही गाड़ियों के विषय में जब नमस्ते इंडिया प्रबंधन द्वारा तैनात किए गए गार्ड से बात की गई तो उसके द्वारा हिचकते हुए कहा गया कि यह सभी गाड़ियां खाली हैं जिसकी पड़ताल करने हम निकल पड़े फैक्ट्री से निकली एक गाड़ी के पीछे जो कानपुर शहर के अंदर एंट्री करते हुए.

नौबस्ता क्षेत्र के कई गली-कूचे में दूध समेत अन्य पदों का वितरण करती पाई गयी। आपको बताते चलें कि शहर भर में ऐसी 13 गाड़ियां बीती रात फैक्ट्री से निकली थी जो शहर के अंदर बड़े आराम से पहुंची जबकि इसके अलावा डिस्ट्रीब्यूटर तक पहुंचने वाली गाड़ियों की संख्या इसमें जुड़ी नहीं है।

जिसके बाद एक सवाल तो उठना लाजमी है कि कानपुर महानगर समेत राजधानी तक में एक तरफ टूट रहा है महामारी का भयावह कहर, क्या उसकी एक वजह कंटेंटमेंट जोन में तैयार हो रहा गाढ़ा जहर?

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