ऑक्सीजन की कमी हरियाली बढाकर ही पूरी की जा सकती है, पीपल बाबा

के० एस० टी०,कानपुर नगर। 2 साल पहले तक पृथ्वीं दिवस पर जहाँ ऑफ़ लाइन कार्यक्रम होते थे अब कोरोना की वजह से इस दिन होनें वाले कार्यक्रम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही सिमट गये हैं। हर वर्ष हम लोग विश्व पृथ्वीं दिवस, विश्व जल दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस… समेत अनेकों दिवस मना रहे हैं। लेकिन पृथ्वीं पर से समस्याओं की समाप्ति के वजाय समस्याओं का अम्बार लगता जा रहा है।

अब समय नहीं बचा है अब इस दिन केवल बातचीत और आईडिया देनें के लिए नहीं बरन एक्शन लेनें का समय आ गया है नहीं तो लोग इस पृथ्वीं पर नहीं बचेंगे तो कौन पृथ्वी दिवस मनायेगा? अब तो स्थिति और भी भयावह हो गई है, सडकों पर सन्नाटा छाया हुआ है। चारो तरफ ऑक्सीजन की कमी की खबरें आ रही हैं, अस्पतालों में अफरा-तफरी मची हुई है। ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत क्यों आन पड़ी।

अगर जरूरत आई तो कमी किस वजह से हुई है इस पर निरंतर बहस जारी है। देश के नामी पर्यावरणकर्मी पीपल बाबा नें विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर पर्यावरण में हुए परिवर्तन को समझाते हुए कहा है कि देश के हर नागरिक को हरियाली बढानें की दिशा में कार्य करने की तत्काल जरूरत है। हरियाली बढानें से ही कोरोना जैसी महामारी को दुनिया से दफा किया जा सकता है।

इस साल World Earth Day पर कोविड-19 (Covid-19) महामारी के बाद भी विश्व पृथ्वीं दिवस को मनानें में कली कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। हर साल इस दिन को ढेर सारी गतिविधियों का आयोजन किया जाता था लेकिन यह लगातार दूसरा साल है जब इस दिन को ऑनलाइन आयोजन के रूप में मनाया जा रहा है। इस बार पृथ्वी (Earth) के पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से कायम करने पर जोर दिया जा रहा है।

कोरोना वायरस इस दुनियां में क्यों तबाही का सबब बन रहा है क्यों इस वायरस के आक्रमण से मनुष्य खुद को नहीं बचा पा रहा है इसकी मुख्य वजह हमारे हवा में ऑक्सीजन की कमी है। जब भी ऑक्सीजन की कमी होती है हमारा रोग प्रतिरोधन क्षमता कम होता है। अनाक्सी स्वसन करने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं के लिए अनुकूल माहौल बनता है। कोरोना के सन्दर्भ में भी यही बात उजागर होती है।

कोरोना जैसे आपदा पृथ्वीं के जनमानस के लिए खतरा बनकर कैसे उपस्थित हुए? इसकी पड़ताल करें तो हम इसके पीछे घोर लापरवाही और वृक्षों को काटकर निरंतर हो रहे शहरों के विस्तार को देखते हैं। वृक्षों को काटनें से ऑक्सीजन स्वतः घट गया और शहरों के बनने से और ज्यादे लोग आकर यहाँ पर बसनें लग गये। जन घनत्व बढ़नें के साथ- साथ ऑक्सीजन के लेवल के घटनें से लोगों का रोग प्रतिरोधक.

क्षमता दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है। जहां कहीं भी जनघनत्व ज्यादे है और ऑक्सीजन की पर्यावरण के मात्रा कम है या आसपास पेड़ पौधे कम हैं कोरोना ने अपना तांडव वहां पर ज्यादे मचाया है। जनघनत्व अधिक होनें से जहां समस्या है वहां पर समाधान भी दिया जा सकता है। देश हर नागरिक पर यह जिम्मेदारी तय करे कि वह हर साल एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करेगा।

ऐसी परिस्थिति में ज्यादे जन घनत्व वाले शहरों में ज्यादे पेड़ लगनें की सम्भावना बढ़ेगी मतलब ज्यादे पर्यावरण सुधार वहीं होंगे जहाँ पर शहरों के विकास से ज्यादे वनस्पतियों का नुकसान हुआ है। 2011 की जनगणना के मुताबिक दिल्ली में देश में सबसे ज्यादे (11394 व्यक्ति प्रति वर्ग किलो मीटर) जन घनत्व हैं। अगर इस आपदा को देखते हुए लोगों को इसके समाधान से जोड़ा जाय तो कम क्षेत्र में ज्यादे पेड़.

लगनें की सम्भावना भी दिल्ली में ही होगी। इस घटना से देश का हर नागरिक सबक लें सरकारें ऐसा क़ानून लायें जिससे देश का हर व्यक्ति देश की हरियाली को बढानें के लिए अपना योगदान दे। हर व्यक्ति अस्पताल से छूटते ही एक पेड़ लगाये। हरियाली बढ़ेगी तो पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा अपने आप बढ़ेगी ऑक्सीजन के स्तर के बढ़नें से लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा और.

कोरोना जैसे वायरस हमारे शरीर पर कोई प्रभाव नही बना सकेंगे, वही उत्तम और अंतिम समाधान होगा। पीपल बाबा का ज्यादातर फोकस पीपल का पेड़ लगानें पर होता है। उनका मानना है कि पीपल का पेड़ सबसे ज्यादे ऑक्सीजन देता है। गौरतलब है कि पीपल बाबा नें अपनी टीम की मदद से अब तक 2 करोड़ 30 लाख पेड़ लगाया है।

इनमें से 1 करोड़ 27 लाख पीपल के पेड़ हैं। पीपल बाबा देशव्यापी हरियाली क्रांति अभियान चला रहे हैं जिससे अब तक 15,000 से ज्यादे स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं। इनकी टीम की पहुच देश के 18 राज्यों के अंतर्गत 202 जिलों तक हो चुकी है।

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