दो बार हाजिरी को लेकर वर्दीधारियों में दबी जुबान आक्रोश

   ० एक चौकी प्रभारी व चालक ही मुख्य कृपा पात्रों में


के० एस० टी०,कानपुर नगर। फजलगंज थाने में वर्तमान समय में थाना प्रभारी अमित कुमार तोमर के खिलाफ दबी जुबान वर्दीधारियों में आक्रोश पनप रहा है। इसका मुख्य कारण करीबी वर्दीधारियों को छोड़कर पूरे थाने के सभी वर्दीधारियों की दो बार हाजिरी होती है। इसमें चाहे वह भले ही हल्का या चौकी प्रभारी क्यों न हो? वह भले ही उस समय किसी भी अत्यन्त जरूरी विभागीय कार्यवाही में क्यों न व्यस्त हो।

वर्तमान समय में एक वर्दीधारी ने नाम न छापने के तमाम वायदे के बाद बताया कि थाना प्रभारी के अत्यन्त करीबियों के तबादले के बाद उनके सबसे बड़े राजदारो में एक चालक व करीबी चौकी प्रभारी अनूप कुमार हैं। इस समय इंसपेक्टर के सारे काम यही कर रहे हैं। इतना ही नहीं उनकी अनुपस्थित में इन दोनों करीबी वर्दीधारियों की हनक थाने में दूसरे इंचार्ज से कम नही रहती।

हालांकि कहीं न कहीं इंसपेक्टर को पूर्व अपने चालक के तबादले का मामला है। क्योंकि उस तरह की क्षेत्र में डीलिंग कोई भी नहीं बना पाया है। यह पूर्व का चालक इस समय में शहर की सबसे बड़ी जगह पर तैनात है। उसने फजलगंज में अपनी तैनाती के दौरान अपने पुराने अनुभवों का सारा फायदा उठाकर थाना प्रभारी अमित कुमार तोमर को अपने थाना क्षेत्र के स्त्रोतों को दिखाकर प्रभावित कर लिया था।

उसमें मुखबिर तंत्र का मामला हो या अन्य तरह की प्राइवेसी के चलते थाना प्रभारी का अति कृपा पात्र था। उनके जाने के बाद उससे जलने वाले स्टाफ की तो बाछे खिल गई थी। क्योंकि उस समय वह इंसपेक्टर की नामौजूदगी में अधोषित इंसपेक्टर हुआ करता था किन्तु उनके जाने के बाद करीब आने में केवल चौकी प्रभारी अनूप कुमार एक चालक ही करीबी बन गया है।

जिसमें अनूप को थाने में इंसपेक्टर की अनुपस्थित में बड़ा प्रभाव रहता है। जबकि इंसपेक्टर इधर तीन महीनो से पूरे थाना क्षेत्र के वर्दीधारियों की दो बार पेशी कराने व उन्हें सार्वजनिक बेइज्जत करने के कारण उनके दिलों से उतर चुके हैं। दूसरी तरफ नई पोस्ट महिला वर्दीधारियों में एक-दो को तो काम के विषय में हमेशा फटकार मिलती है।

जिसमें पहरा के दौरान अगर थाने कम्पाउण्ड में पीड़ित अगर बिना अनुमति के आ गया तो महिला वर्दीधारियों को सार्वजनिक फटकार मिलनी तय हैं। जबकि इंसपेक्टर चौकी प्रभारी के करीबी से अगर पूछततांछ हुई तब भी फटकार तय हैं। इसलिए अन्दर ही अन्दर वर्दीधारियों में रोष व्याप्त है।

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