फूलों को गूथते-गूथते मुरझाता जा रहा है दस वर्षीय मासूम मयंक
22 Oct
◆ पढ़ाई पर बाधित पेट की आग
◆ फ्लावर शॉप मालिक खूब उठा रहा है गरीबों का लाभ
के० एस० टी०,कानपुर नगर। साक्षरता बढ़ाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान पर प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी कितना अधिक जोर क्यों न लगा दे किन्तु श्रम विभाग की लापरवाही के चलते आज भी बस्ते उठाने वाले कंधों में गृहस्थी चलाने का बोझ परिवारों ने डाल रखा है।
जिससे दस से बारह साल के बच्चे जोखिम से जोखिम कार्य करने को मजबूर हैं। इसी तरह का एक बचपन शॉप नम्बर-2, 118/614 कौशलपुरी स्थित नित्या गिफ्ट एवं फ्लावर शॉप पर काम के बोझ तले दबता हुआ दिखा जिसमें दस वर्षीय.
मयंक को काफी कुरेदने पर जो उसने कहानी बयां की वह आंसुओं भरी थी कि आज भी भले ही हम मेट्रो सिटी की परिकल्पना में हो किन्तु गरीबी का यह शेर कोठियों के मेय्यारो से हिन्दोस्तां को मत आकिये असली हिन्दोस्तां तो फुटपाथ पर ही आबाद है।
तस्वीर इस शेर की जीवंत कर रही थी। उस बच्चे ने बताया कि उसके पिता मदन गोपाल जायसवाल सिक्योरिटी गार्ड हैं। परिवार की आर्थिक तंगी के चलते उसे गुलदस्ते की दुकान में 10 से 12 घंटे काम करना पड़ता है।
गलती हो जाने पर फटकार के साथ मालिक की मार भी खानी पड़ती है। उसके पिता ही जानते हैं एक सवाल के जवाब में उसने कहा स्कूल जाना दोस्तों के साथ खेलना किसे नहीं.
अच्छा लगता किन्तु पेट की आग से बड़ी कोई चीज नही होती। मजबूरी है करना ही पड़ता है। इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू छलछला उठे।