००० जब बाहुबलियों ने उतारा अपने बेटों को रियल स्टेट के कारोबार में

प्रधानपति रामदास के बेटे की तरह किसी का बेटा नहीं निकल सका मास्टर माइंड

राजूपाल बेटे को बचाने की जुगल में लगें


के० एस० टी०,कानपुर नगर। मोहल्लों की कर्म व जन्मभूमि मानी जाने वाली गंगा समेत तमाम नदियों की कटरियों में अन्य बिरादरीयों का वर्चस्व कब से होने लगा किन्तु यहां शहर की कटरियों में मल्लाहो का वर्चस्व हो किन्तु इन्हें इन्ही के साथ कई और नामी गिरामी चेहरे सामने आ रहे हैं.

जिनका गंगा कटरी की जमीन से कुछ लेना-देना ही नहीं था। इसमें एक बड़ा नाम राज डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कर्ता-धर्ता सौरभ पाल का नाम है। हालांकि सौरभ पाल के मुकाबले में नामी-गिरामी हिस्ट्रीशीटर व भू-माफिया सुखदेव निषाद का करीबी व हिस्ट्रीशीटर प्रधान पति का बेटा राजेन्द्र निषाद है।

अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि तीनों ने ही प्रॉपर्टी के नाम अकूत सम्पत्ति हासिल की है। किन्तु मास्टर माइंड राजेन्द्र निषाद कहीं कागजों में नहीं है जबकि सुखदेव व राजू पाल का लड़का सौरभ दोनों ही कागजों में मुख्य कर्ता-धर्ता है। हालांकि दोनों के ही बेटों के नामों में लीपापोती की तैयारी शुरू हो गई है।

रामदास का बेटा राजेन्द्र निषाद बाहर आकर फिर से नई गतिविधियों में लग चुका है। आपको बताते चलें कि प्रधान पति रामदास का काफी करीबी राजू पाल ने अपने बेटे सौरभ पाल को राजेन्द्र निषाद की ही देखा देखी रियल स्टेट के कारोबार में न सिर्फ उतारा था बल्कि सौरभ को राज डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड का पूरा दायित्व भी सौंप दिया था।

उसे क्या पता था कि प्रधान पति रामदास का बेटा राजेन्द्र निषाद पंखुड़ी को सिर्फ अपनी ताकत दिये था। जिसके एवज में उसे बिना कुछ किये धरे ही इतना मिल जाता था कि उसे ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। जबकि राजू पाल रामदास द्वारा अन्य रियल स्टेटों की जमीनों की बिक्री का लेखा-जोखा रखता था।

यह खेल इतना बड़ा है कि किस रियल स्टेट का संचालक एम० डी०, डायरेक्टर कौन है? जबकि पीछे से किसका कालाधन इस धंधे में लगा है। जहां तक सौरभ पाल की बात है तो उसे अपने पिता के राम दास के करीबी होने का लाभ आज भी मिल रहा है किन्तु वह प्रधान के बेटे की तरह से जमीनों के इस खेल में अपने को लिप्त रहने से नहीं रोक सका।

हालांकि उसे बचाने के लिए पूरी कोशिश जारी है पुलिस भी उसके नाम से कन्नी काटने लगी है। दूसरी तरफ दो बार रासुका झेल चुका तत्यापुरवा निवासी सुखदेव निषाद के अपराध जगत में चार दशक बीत चुके हैं किन्तु उसने अपना व परिवार का बाहुबल कायम रखने के लिए हत्याओं के आरोप लेने में आज भी किसी तरह की कोताही नहीं दिखाई है।

कुछ समय पूर्व ही उस पर हत्या का आरोप लगा था किन्तु समझौता हो गया। बहरहाल बाहुबलियों के पुत्रों की भांति उसने भी अपने करीबी को भी रियल स्टेट के कारोबार में उतारा जिसमें नाम आने से उसका बेटा भी अपने को बचाने में जुटा है। हालांकि सुखदेव खुद ही फरार है। ऐसी सूरत में वह अपने करीबी के लिए एक बड़ा बचाव पक्ष खड़ा करे हुए हैं। जिसमें थाने स्तर पर सिर्फ कागजी कार्यवाही हुई है किन्तु तलाश के नाम पर ढाक के तीन पात है।

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