के० एस० टी०,कानपुर संवाददाता। केडीए में डीजल घोटाले के मामले में केडीए उपाध्यक्ष ने बुधवार को केयरटेकर विभाग के प्रभारी अधिकारियों, अवर अभियंताओं और सुपरवाइजरों का ब्यौरा मांगा है। ये उस समय के अधिकारी और कर्मचारी हैं,
जब डीजल घोटाला (दिसंबर 2017 से दिसंबर 2019) हुआ था। एक प्रभारी अधिकारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं, जबकि एक अन्य मुख्य अभियंता हैं। सुपरवाइजरों को केडीए वीसी निलंबित करेंगे, जबकि अन्य के निलंबन के लिए शासन से संस्तुति की जाएगी।
केडीए में 2.15 करोड़ रुपये के हुए डीजल घोटाले में कमिश्नर डॉ. राजशेखर ने केडीए वीसी राकेश कुमार सिंह को दोषी केयरटेकर, सुपरवाइजर को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। इसके मद्देनजर केडीए वीसी ने संयुक्त सचिव के के सिंह से.
केयरटेकर विभाग में तैनात रहे केयरटेकरों, सुपरवाइजरों और प्रभारी अधिकारियों की सूची तलब की है। वीसी को दी गई सूची में बताया गया है कि दिसंबर 2017 से दिसंबर 2019 के बीच केयरटेकर के पद पर सबसे पहले अवर अभियंता अशत अली,
फिर जेई करमेंद्र और उसके बाद जेई रवींद्र प्रकाश रहे। इनमें से अशत और करमेंद्र का कार्यकाल चार-चार महीने का रहा, जबकि शेष समय रवींद्र प्रकाश ही डीजल, वाहनों सहित अन्य कार्य देखते रहे। उन्हीं केे कार्यकाल में डीजल के सबसे ज्यादा फर्जी बिल लगाए गए।
इस दौरान सुनील कुमार और मुकेश सुपरवाइजर थे। इसी अवधि में तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रहे डीसी श्रीवास्तव (बाद में मुख्य अभियंता पद से सेवानिवृत्त हुए), तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एसके नागर (मौजूदा समय में मुख्य अभियंता),
अधिशासी अभियंता डीएस चौहान, अधिशासी अभियंता अतुल मिश्रा केयरटेकर विभाग के प्रभारी अधिकारी रहे। डीजल घोटाले में केयरटेकर के साथ इस विभाग में तैनात रहे प्रभारी अधिकारियों,
सुपरवाइजरों की रिपोर्ट मांगी है। सुपरवाइजरों को मैं निलंबित करूंगा। अन्य के निलंबन के लिए शासन से संस्तुति करेंगे।