के० एस० टी०,शुक्लागंज संवाददाता। शुक्लागंज के श्मशान घाट पूर्व में चिताओं से पटे रहे। घाटों पर प्रतिदिन तीन दर्जन से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कराने वाले पंड़ा भी इस वैश्विक महामारी के प्रकोप से खासे भयभीत दिखे। बुजुर्ग से लेकर युवा तक के शवों का अंतिम संस्कार कराने के लिए आये.
लोगों की भीड़़ भी संक्रमण का खतरा बनते दिखी‚ लेकिन नगर के श्मशान घाटों के हालात अब थोड़े़ सुधरे दिख रहे हैं। शुक्रवार को घाटों पर शवों की संख्या पहले की अपेक्षा आधी रही‚ जिसको देखकर पंड़ों ने भी राहत की सांस ली। अप्रैल माह के दौरान श्मशान घाट पर शवों के अंतिम संस्कार के.
लिए लोगों की भीड़़ एक वीभत्स दृश्य को दर्शाती रही। प्रतिदिन मिश्रा कॉलोनी व बालूघाट पर होने वाले अंतिम संस्कारों की संख्या 35 से 40 रही‚ जिसके चलते घाट पर लकड़ियों का टोटा तक हो गया। नगर से लेकर उन्नाव शहर व लखनऊ से आने वाले शवों का अंतिम संस्कार कराने वालों की भीड़़ से घाट पटे रहे।
पंड़ों ने भी एक साथ इतने शवों का अंतिम संस्कार शायद अपने जीवन काल में पहली बार ही कराया होगा। प्रतिदिन शवों की भरमार को देखकर लोग भी वैश्विक महामारी के प्रकोप से खासे ड़रे सहमे रहे। शुक्रवार को मिश्रा कॉलोनी व बालूघाट पर पूरे दिन में महज 16 शवों का ही अंतिम संस्कार कराया गया। शवों की संख्या कम होने से महामारी का घटता प्रकोप देख लोगों ने भी राहत की सांस ली।