सीएचसी में चिकित्सकों के पद स्वीकृत करने में देरी

के० एस० टी०,(गाजीपुर) संवाददाता। करंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिग का लोकार्पण 9 अक्टूबर 2011 को तत्कालीन बसपा सरकार में हुआ था। 11 वर्ष बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधा बहाल नहीं हुई। न ही शासन स्तर से सीएचसी में पद स्वीकृत हुए है।

हालांकि इसके लिए शासन को फाइल बहुत पहले ही भेजी जा चुकी है। लोकार्पण के बाद से ही इस इमारत में पुराना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी सेवाएं दे रहा हैं। वर्तमान में यहां दो चिकित्सक, दो फार्मासिस्ट, दो एलटी, एक नर्स, एक वार्ड ब्वाय, एक स्वीपर नियुक्त हैं।

अगर सीएचसी का पद स्वीकृत हो जाता तो नेत्र रोग, हड्डी रोग, व स्त्री रोग विशेषज्ञ समेत कम से कम चार डाक्टरों की नियुक्ति हो जाती। अब तक यहां चिकित्सकों के पद स्वीकृत नहीं हुए हैं। वहीं एक्स-रे मशीन का भी अभाव है। फिलहाल इमरजेंसी सहित 30 बेड की सुविधा वाले.

इस अस्पताल में ब्लड जांच के लिए पैथोलाजी का कार्य सुचारू रूप से संचालित है। विद्युत व्यवस्था के लिए जेनरेटर उपलब्ध है। आरो की सुविधा है। स्टोर में पर्याप्त मात्रा में दवाएं उपलब्ध हैं। प्रतिदिन होते हैं कोरोना टेस्ट-: इस स्वास्थ्य केंद्र पर प्रतिदिन कोविड की लगभग 250

आरटीपीसीआर जांच व 300 के आसपास एंटीजन टेस्ट हो रहे हैं। अब तक 11500 से ज्यादा कोविड वैक्सीनेशन हो चुकी है। करंडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से अटैच चार एडिशनल पीएचसी भी हैं। इनमें मैनपुर में चिकित्सक का पद रिक्त है। बड़सरा में नियुक्त डा. अभिनव सिंह को

करंडा का प्रभारी चिकित्सक बनाए जाने के बाद यहां भी डाक्टर का अभाव है। प्रभारी चिकित्सक डा. अभिनव सिंह ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर को रोकने के लिए ऊपर से जैसा निर्देश आएगा, उसको जिम्मेदारी पूर्वक निर्वहन किया जाएगा।

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