विद्या बालन ने करियर में झेला रिजेक्शन का दर्द किया बयां

बॉलीवुड में कई ऐसे सितारे हैं, जिनका बॉलीवुड सफर इतना आसान नहीं रहा है। आज जिस मुकाम पर वो खड़े हैं वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है। इसमें से अधिकतर वो सितारे हैं, जिन्होंने बाहर से आकर फिल्म जगत में एंट्री ली और अपनी एक अलग पहचान बनाई।

आज प्रियंका चोपड़ा हो या फिर कटरीना कैफ, इन्हें न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में लोग जानते और पहचानते हैं। इन्हीं सफल अभिनेत्रियों में शुमार है विद्या बालन, जिन्होंने अपने बलबूते पर फिल्म जगत में अपनी एक अलग पहचान और जगह बनाई है। लेकिन विद्या बालन का ये सफर इतना आसान नहीं था।

 

विद्या को शुरुआत में मिले कई रिजेक्शन 

विद्या बालन की फिल्म ‘शेरनी’ हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की गई, जिसे दर्शकों की तरफ से मिक्स रिव्यू मिला। अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान विद्या ने अपनी निजी और प्रोफेशनल जिंदगी के बारे में खुलकर बात की। अपने फिल्मी करियर के बारे में बातचीत करते हुए.

विद्या ने बताया कि जब उन्होंने फिल्म जगत में कदम रखा था तो उन्हें काफी रिजेक्शन झेलना पड़ा था। एक समय ऐसा था जब वो एक निराश और मुश्किल भरी जिंदगी जी रही थीं। एक समय ऐसा था जब विद्या को फिल्मों से लगातार रिजेक्शन मिल रहा था, कई बार तो वह रोते-रोते सो जाया करती थीं।

 

करियर में देखी कई मुश्किलें

फिल्मों में विद्या बालन का सफर बिलकुल भी आसान नहीं था। उन्होंने साल 1995 में आए एकता कपूर के टेलीविजन शो ‘हम पांच’ से मनोरंजन के क्षेत्र में कदम रखा था। हालांकि ये शो तो बहुत चला, लेकिन विद्या के करियर को इससे कुछ अधिक फायदा नहीं मिला।

अधिकतर लोगों को तो ये बात तब पता लगी कि विद्या इस शो का महत्वपूर्ण हिस्सा थीं, जब उन्होंने अपने फिल्मी करियर में सफलता हासिल की। उन्होंने साउथ इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की, लेकिन सफल न हो सकीं। फिल्में फाइनल नहीं हो पाईं।

 

माता-पिता ने हमेशा दिया साथ

अपने शुरूआती दिनों में फिल्मों में अपनी जगह बनाने के लिए विद्या ने काफी संघर्ष किया। अपने संघर्ष के बारे में उन्होंने बताते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं उस समय निराशाजनक महसूस कर रही थी। शुरुआत में साउथ इंडस्ट्री में लगातार रिजेक्शन मिलने के बाद मैं अपने घर आती और रो-रो कर सो जाया करती थी। मुझे ऐसा लगता था कि मैं कभी एक्टर नहीं बन सकती।

लेकिन अगली सुबह जब भी मैं उठती थी तो सूरज की किरण मुझे मेरी जिंदगी में एक नई उम्मीद देती थी। मुझे हर सुबह यही लगता था कि मेरे पास कुछ नया करने का एक और मौका है। ऐसे में मैं जिन रिजेक्शन को झेल रही थी, वह मायने नहीं रखता था। मेरे माता-पिता ने मेरा काफी साथ दिया, जिसके लिए मैं हमेशा उनका शुक्रियाअदा करती हूं। 

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