केंद्र अथवा राज्य सरकारें दें अनुमति, तो पार्टी के हजारों समर्थक के सहयोग से चलायेंगे 100 बसें

★ मजदूरों की मुसीबत देख मिशन-100 आजाद भारत पार्टी का बड़ा एलान, घरों तक सुरक्षित पहुँचे मजदूर, किया निजी खर्चे पर, 100 बसें चलाने का वादा

कानपुर महानगर। (सर्वोत्तम तिवारी) देश में कोरोना के कदम और बढ़ती स्पीड को देखते हुये प्रधानमंत्री ने एकदम से संम्पूर्ण भारत में टोटल लॉक डाउन का कड़ा फैसला ले लिया। फैसला लेना भी आवश्यक था चूंकि महामारी बनें इस कोरोना संक्रमण से बचाव सिर्फ सामाजिक दूरी में ही निहित है। इसी लिये अन्य देशों से मिली सीख को देखते हुये देश में सख्ती के साथ लॉक डाउन के आदेश कर दिये गये। एकाएक लगे इस इस लॉक डाउन के कारण जो जहाँ जिस हाल में था वहीं फंस गया। इस दौरान विभिन्न राज्यों और शहरों में मजदूरी के लिये जाने वाले मजदूरों के सामने एक मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा।

उनको न काम नसीब हुआ, न धाम ….
ऐसे में मजबूर, मजदूर न जाने कैसे-कैसे, अपने दिन काटने पर मजबूर हो गये। कहीं उन्हें रात काटने की समस्या, तो कहीं पेट भरने की।

धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का …..
ऐसी कहानियों को चरितार्थ करने वाला यह जीवन जगह-जगह फँसे इन मजदूरों की मजबूरी बन गया। न उनके पास खाने की व्यवस्था है न ओढ़ने और बिछाने की। कई तरह की जिम्मेदारियों के कारण सरकार भी इस ओर अपना ध्यान नहीं दे पा रही है। मुसीबत के मारे ये मजदूर कहीं हजारों-हजार किलो मीटर पैदल चलते हुये अपने घरों को चल दिये, तो कहीं सरकारी बसों के चलने वाली आस और अफवाहों पर टिके रहे। इसी बीच संगठन (मिशन-100) के हेल्प लाइन नम्बरों पर कई जगह फँसे मजदूरों के फोन आये। संगठन के संस्थापक ने मजदूरों के दर्द को समझा और उनको संगठन की जानकारी दी, तथा इस मुसीबत की घड़ी में मदद का आश्वासन देते हुये उन्हें ढांढस बंधाया। अपनी कोर कमेटी व समर्थकों के साथ बैठक व बातचीत करके एक सैकड़ा बसों द्वारा, अपने निजी खर्चे पर इन मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की बात कही। ऐसे वक्त में सरकार की काफी मदद वाला ये ऐलान अगर सरकार कुबूल करे तो लोगों की जान भी बचेगी और जहान भी। मिशन-100 के संस्थापक मानवेन्द्र आजाद ने बताया कि देश में लॉक डाउन लगने के बाद यूपी, एमपी, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार आदि राज्यों में बड़ी संख्या में मजदूर फंस गये हैं। ऐसी दशा में, न उनके पास काम है और न ही रहने का उचित स्थान। कंपनियों और फैक्ट्रियों के बंद होने से मजदूरों की एक बड़ी संख्या सड़क पर आ गई है। उन्होंने कहा कि अधिकतर स्थानों से लोग दिल्ली और गुजरात काम के लिये जाते हैं, इस लिये उन राज्यों में ऐसे कामगारों के लिये एक दम से लगने वाला लॉक डाउन बहुत बड़ी मुसीबत बन गया है। क्योंकि अधिकतर देखा गया है कि महाराष्ट्र आदि राज्यों में यूपी और बिहार के लोगों के साथ वहाँ के स्थानीय निवासी, बहुत ही गलत व्यवहार करते हैं। भेदभाव के बीच काटे जाने वाले वक्त के दौर में ही, इस महामारी ने कदम रखा। और सूचना है कि कोरोना संक्रमण को लेकर उड़ने वाली तरह-तरह की अफवाहों व गलत फहमियों को लेकर स्थानीय लोग इन परदेशियों के साथ बहुत दुर्व्यवहार कर रहे हैं। जिससे मन व्यथित और आत्मा दुःखी है। लॉक डाउन में ही फँसे होने के कारण, महाराष्ट्र के पालघर में 2 साधुओं सहित तीन की निर्मम हत्या हो गई। ऐसी दुःखद और शर्मनाक घटनाओं के पीछे कहीं न कहीं लॉक डाउन और लॉक डाउन की सख्ती भी है। मजबूरी में फँसे विभिन्न स्थानों के लोगों और मजदूरों के साथ इसी तरह का दुर्व्यवहार होता नजर आता है। ऐसे में लॉक डाउन में फंसे इन मजदूरों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाना अति आवश्यक है। मानवेन्द्र आजाद मिशन -100 के संस्थापक के अनुसार उन्होंने ने केंद्र और राज्य सरकार से (समर्थकों के साथ) अपने निजी ख़र्चे पर इन मजदूरों के लिये 100 बसें देने का वादा किया है। मिशन -100 द्वारा जनसेवा के लिये दी जाने वाली इन बसों को सरकार एहतियात बरतते हुये, अपने अनुसार यथा स्थान भेजकर मुसीबत में फँसे लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचा दे। इस मुहिम में हमारे हजारों समर्थक, हमारे साथ हैं। राज्य सरकारें या केंद्र सरकार अनुमति दे, तो हमारा संगठन मिशन-100 शतप्रतिशत इन मजबूर, मजदूरों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचायेगा। मानवेन्द्र आजाद ने कहा हमारे संगठन और शासन की निगरानी में इन मजदूरों के सुरक्षित घर पहुँचने के बाद, स्थानीय प्रशासन उन्हें क्वारंटीन करते हुये उनपर निगरानी रखे। संस्था के संस्थापक मानवेन्द्र आजाद ने महाराष्ट्र में साधुओं की निर्मम हत्या पर शोक जताते हुये कहा कि पालघर के पापियों को सरकार द्वारा कड़ी सजा दी जानी चाहिये। और इसी घटना से सबक लेते हुये, जगह -जगह फँसे अन्य लोगों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिये।

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