के० एस० टी०,बहादुरगढ़ संवाददाता।तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन में बहादुरगढ़ का 23 करोड़ का प्रोजेक्ट अटक गया है। यहां पर लगभग बन चुके अंतरराजीय बस स्टैैंंड के चालू होने का इंतजार है। फिलहाल यहां पर आंदोलनकारियों का डेरा है। बस स्टैंड के पूरे परिसर में तो आंदोलन कारियों के तंबू है, जबकि भवन के अंदर भी.
ज्यादातर हिस्सों पर किसानों ने कब्जा जमा रखा है। यहां तक की छत पर बने मशीन रूम में भी आंदाेलनकारी जमे बैठे हैं। ऐसे में दिक्कत यह है कि इस बस स्टैंड का लगभग पांच फीसद जो काम बचा हुआ है, वह पूरा नहीं हो पा रहा है। दूसरा जहां पर काम पूरा हो चुका है, वह इस आंदोलन के कारण बिगड़ रहा है। पूरे बस स्टैंड परिसर को ही लें तो.
इसमें जितने भी तंबू और शेड बनाए गए हैं, उनके लिए यहां के फर्श काे तोड़ा गया है। चारों तरफ रेलिंग के लिए जो पत्थर लगाए गए थे, वे भी काफी हिस्से में तहस-तहस हो रखे हैं। नालों के स्लैब भी टूट रहे हैं। शौचालय में लगी सीटें भी तोड़ दी गई। कई जगह दरवाजों का एक हिस्सा ही उखाड़ दिया गया। इस तरह से बहादुरगढ़ के इस मिनी आइएसबीटी केे.
लिए लोगों काे और लंबा इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि एक तो जो बचा हुआ काम है, वह पूरा करना पड़ेगा। दूसरा जो काम बिगड़ गया है, उसे भी ठीक करना हाेगा। जाहिर है कि इसमें लागत भी बढ़ेगी, लेकिन फिलहाल तो इंतजार इस बात का है कि आंदोलनकारियों से यह बस स्टैंड कब खाली होगा। जब आंदोलन कारी हटेंगे,
तभी यहां पर काम पूरा होगा और तभी यह चालू हो पाएगा। आंदोलन खत्म होने से पहले तो इस तरह की संभावना नजर नहीं आ रही है। अब आंदोलनकारियों का 27 सितंबर का आहुत भारत बंद को सफल बनाने पर जोर है। इस बंद के जरिये संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आंदोलन की ताकत का अहसास कराने की कोशिश रहेगी।