जीवित साबित करने के लिए पर्चा भरा, पर्चा कार्य

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। वाराणसी के छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह राजस्व विभाग की नजर में स्वर्गवासी हैं। राजस्व अभिलेखों के अनुसार, उनकी मौत 2003 में मुंबई में ट्रेन में हुए बम धमाके में हो चुकी है। फर्जी तरीके से बने मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर ‘अपनों’ ने उनकी साढ़े बारह एकड़ भूमि अपने नाम कराकर बेच भी दी। अब संतोष खुद को जिंदा साबित करने के लिए 17 सालों से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सफलता नहीं मिली है।

संतोष ने बताया कि 2012 में राष्ट्रपति चुनाव, 2014 और 2019 में वाराणसी सीट से लोकसभा चुनाव में नामांकन किया। इन चुनावों में उनका पर्चा खारिज तो हुआ पर वे राजस्व अभिलेखों में अब तक जिंदा घोषित नहीं हो सके। 2017 में उन्होंने वाराणसी की शिवपुर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा पर हार गए। खुद को ङ्क्षजदा साबित करने के लिए वे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की जन्मभूमि कानपुर से चुनाव लडऩे आए हैं। महाराजपुर सीट से जनसंघ पार्टी से नामांकन किया,

लेकिन पर्चा खारिज हो गया। संतोष ने बताया कि आंच फिल्म की शूटिंग के लिए एक बार सिने स्टार नाना पाटेकर छितौनी आए थे। उनके साथ वह वर्ष 2000 में उनके साथ मुंबई चले गए और वहां उनके रसोइया बन गए। 2003 में जब मुंबई में ट्रेन बम धमाके की घटना हुई तो यहां उनके साझीदारों ने उनके विरुद्ध साजिश रची। प्रधान से मिलकर उनके बम धमाके में मारे जाने का प्रमाण पत्र बनवाया और उनकी भूमि को अपने नाम करा बेचना शुरू कर दिया। जब 2004 में गांव आए तो मामले की जानकारी हुई।

भागदौड़ शुरू की पर कोई लाभ नहीं हुआ। उनका कहना है, राष्ट्रपति के चुनाव में नामांकन कर खुद को जीवित साबित नहीं कर पाया तो सोचा राष्ट्रपति की जन्मभूमि से ही चुनाव लड़ लूं शायद जीवित मान लिया जाऊं, लेकिन पर्चा खारिज होने से यह सपना भी टूट गया। एक जनवरी, 2012 से 2017 तक दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरने में बैठे रहे। दिल्ली पुलिस ने उन्हें 14 दिनों तक तिहाड़ जेल में रखा, लेकिन वे राजस्व अभिलेखों में जीवित नहीं हो सके। बताया, मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने लखनऊ के हजरतगंज थाने में 2012 में आरोपितों पर मुकदमा भी दर्ज करवाया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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