भू-माफिया ने बेच डाली केडीए की पांच बीघा जमीन

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। सरकारी जमीनों पर कब्जा कर उन्हें बेचने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में नौबस्ता के हंसपुर गांव में भूमाफिया ने कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) की पांच बीघा सरकारी जमीन बेच डाली। अब केडीए ने उसे सरकारी जमीन बताते हुए एसडीएम सदर कोर्ट से जमीन को प्राधिकरण में निहित करने की मांग की है। नौबस्ता से लगी ग्राम हंसपुर की.

आराजी संख्या 381, जिसका रकबा करीब पांच बीघा है। यह जमीन नवीन परती के रूप में दर्ज है और ग्राम समाज के खाते की भूमि है। पहले यह जमीन बंजर में दर्ज थी, तब भी सरकारी जमीन थी। बावजूद इसके इस जमीन को बेच दिया गया। तत्कालीन डीएम आलोक तिवारी ने तहसीलदार सदर की रिपोर्ट और दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमीन केडीए की मानी थी। उनके आदेश के बाद केडीए ने मार्च 2022 में अपनी जमीन के लिए एसडीएम सदर के न्यायालय में दावा किया है, जिसकी सुनवाई अभी चल रही है।

सरकारी जमीन पर दर्ज हो गया नाम-: वर्ष 2014 में इस जमीन को नवीन परती से खारिज कर रामचंद्र के नाम पर दर्ज किया गया, जिसके बाद से इसकी खरीद-फरोख्त शुरू हो गई। हालांकि रामचंद्र का नाम श्रेणी चार में दर्ज हुआ था, जिसका तात्पर्य ऐसे लोगों से होता है जो अवैध तरीके से ग्राम समाज की जमीन पर काबिज हो गए हों।

 

 

 

 

 

 

 

15 करोड़ रुपये की है जमीन-: जानकार बताते हैं कि बेची गई जमीन करीब 15 करोड़ रुपये की है। इसमें 21 लोगों के जमीन बेचने के दस्तावेज सामने आए हैं, जबकि अंदेशा जताया जा रहा है कि सरकारी जमीन के और भी खरीदार होंगे, जिन्होंने अभी दाखिल खारिज नहीं कराया। इसीलिए उनका रिकार्ड अभी तक सामने नहीं आ सका है।

 

 

 

 

 

 

 

 

राजस्व अभिलेख में गलत तरह से चढ़ा नाम-: केडीए की तहसीलदार अर्चना त्रिपाठी ने एसडीएम सदर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया है। इसमें उन्होंने उक्त जमीन केडीए में निहित होने की बात कहते हुए स्पष्ट कहा है कि रामचंद्र द्वारा सरकारी स्वामित्व की भूमि हड़पने के लिए जानबूझकर कूटरचना करते हुए राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज कराया गया है। उन्होंने इसे दुरुस्त कर जमीन केडीए के नाम दर्ज करने की मांग की है।

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