फर्जी संस्थान चलाकर तैयार करते थे मार्कशीट

के० एस० टी०,सिद्धार्थनगर संवाददाता। उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में एसओजी और पुलिस ने मिलकर फर्जी डिग्री बनाने वाली एक गैंग को पकड़ा है। यह गैंग लोगों से रूपये के बदले नकली मार्कशीट बनाने का गोरखधंधा करता था। गैंग के सदस्यों के पास से कम्प्यूटर, प्रिंटर के अलावा 24 फर्जी मार्कशीट भी बरामद किया। गिरोह को एक संस्थान का नाम भी दिया गया था, जिससे लोग आसानी से इनका शिकार बन जाते थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

लोगों को शक न हो इसलिए करवाते थे फर्जी परीक्षा-: सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज में हुई छापेमार कार्रवाई के बाद पुलिस ने आज खुलासा किया है। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि डुमरियागंज में इनके दो संस्थान श्री राम सूरत एपेक्स इंस्टिट्यूट एंड टेकनोलॉजी व श्री रामसूरत निजि आईटीआई कॉलेज हैं। यहां दाखिला या कोर्स की जानकारी लेने आने वाले छात्र और उनके परिजनों को पैसे के बदले तुंरत मार्कशीट देने का प्रलोभन देते थे। इनके झांसे में आने वाले लोगों को कम्प्यूटर से एडिट किया हुआ प्रवेश पत्र देते थे। ऑनलाइन होने वाली परीक्षाओं की लेट फीस के नाम पैसा वसूल कर संस्थान में ही परीक्षा करवाते थे, जिससे झांसे में आने वाले लोगों को इनके कारनामे पर शक भी नहीं होता था।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फर्जी डिग्रियाें को कलर प्रिंटर से तैयार करते थे-: पकड़े गए दो आरोपी श्याम जी चौधरी और रमेश यादव इस गोरखधंधे को काफी समय से चला रहे हैं। ये लोग ओ लेवल, ए लेवल, ट्रिपल सी और योगा तक की बिना परीक्षा के ही फर्जी डिग्री लोगों को उपलब्ध करा देते थे। इसके लिए इन्हें काफी पैसे भी मिलते थे। पुलिस ये जानकारी इकठ्ठा करने में जुट है कि इनके बनाए मार्कशीट का प्रयोग कहां और किस जगह हुआ है। आरोपी किताबों से प्रश्नपत्र बनाते थे। इसके अलावा कॉपी और मुहर डुमरियागंज में बनवा लेते थे। परीक्षा के भ्रम में रखने के लिए संस्था के नाम से फर्जी पंजीयन क्रमांक व रोल नंबर आदि डालकर कलर प्रिण्टर से मार्कशीट तैयार करते थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पुलिस टीम को 15 हजार का पुरस्कार-: आरोपी कुछ कोर्सों की मार्कशीट फैजाबाद के एक प्रतिष्ठित संस्थान से मंगाते हैं, जो एनटीटी, योग इत्यादि की मार्कशीट महर्षिदयानन्द संस्थान के नाम से देते हैं। कुछ लोगों को सीसीसी एवं अनुभव प्रमाण पत्र भी देते हैं, उनके द्वारा पूर्व में जिन अभ्यर्थियों को मार्कशीट निर्गत की गई है। उनके भी नाम पता बताया गया है, जिसकी जांच की जा रही है कि कहां-कहां मार्कशीटों का प्रयोग किया गया है। इस खुलासे के लिए पुलिस अधीक्षक यशवीर सिंह ने पुलिस टीम को 15,000 रुपए नकद पुरस्कार से पुरस्कृत किया है।

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