के. एस. टी, नई दिल्ली संवाददाता। मां एक शब्द भर नहीं…वैसे तो मां को याद करने के लिए कोई खास दिन मुकर्रर नहीं हो सकता। मां की दुआएं हमेशा साथ होती हैं। मां की ममता हमेशा सही रास्ता दिखाती है। लेकिन आज मदर्स डे है…मां को याद करने और पुकारने का दिन। इस मौके पर मां को याद कर रही हैं मशहूर जाने-माने अभिनेता मुरली शर्मा और शायर एवं कवि निदा फाजली
रोज दुआओं का असर देखते हैं!
मां की भूमिका हमेशा अपने बच्चों के लिए ममता भरी होती है। आप दूसरों से कोई कटु वचन बोल देंगे तो वह आपसे रिश्ता तोड़ लेगा, लेकिन अगर मां से बोल देंगे तो वह यही सोचेगी कि आप किसी परेशानी में हैं। मां ही सबसे पहले आप पर विश्वास करती है।
आप अगर उसे गलत भी बता देंगे तो भी वह आप पर विश्वास कर लेगी, क्योंकि मां मासूम होती है, ममता होती है। हमारे लिए तो हमारी मांएं ही सब कुछ हैं। हम दोनों की मांओं (नीता पांडे नेगी की मां नीलम पांडे और जागृति लूथरा प्रसन्ना की मां संतोष लूथरा) ने हमें बचपन से बहुत प्यार दिया है।
उन्होंने हमारी प्रतिभा को पहचाना और यह मुकाम दिलाने में जी-जान से जुटी रहीं। वे हमें संगीत प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों में ले जातीं और रियाज करने के लिए प्रेरित करतीं। आज हम जो कुछ भी हैं, वह सिर्फ अपनी मांओं की वजह से हैं। हमारी मांओं की ही दी हुई यह शिक्षा है कि हम भी अपने बच्चों को परखती हैं।
खट्टी चटनी जैसी मां : मशहूर रचनाकार, निदा फाजलीबेसन की सोंधी रोटी पर
खट्टी चटनी जैसी मां ,
याद आता है चौका-बासन,
चिमटा फुंकनी जैसी मां ।
बांस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे
आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी मां ।
चिड़ियों के चहकार में गूंजे राधा-मोहन अली-अली
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की कुंडी जैसी मां ।
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां ।
बांट के अपना चेहरा, माथा, आंखें जाने कहां गई
फटे पुराने इक अलबम में चंचल लड़की जैसी मां ।
हर सुबह मां की वह मीठी बोली (मुरली शर्मा, अभिनेता)