के० एस० टी०,बरेली संवाददाता।काजी-ए-हिंद के फर्जी लेटर पैड पर भ्रामक बातें लिखकर प्रसारित कर दी गईं। आरोप है कि लेटर पैड पर प्रसिद्ध आलिम के बरेली आने को लेकर टिप्पणी की गई है। कोतवाली पुलिस ने मीडिया प्रभारी के शिकायती पत्र पर प्राथमिकी लिखकर जांच शुरू कर दी है। जमात रजा-ए-मुस्तफा के मीडिया प्रभारी समरान खान के मुताबिक, शम्सुज्जमा नाम की फेसबुक आइडी पर एक पोस्ट की गई है।
पोस्ट को शान मोहम्मद ने शेयर किया है जिसमे काजी-ए-हिंद मुफ्ती असजद रजा खान के लेटर पैड और हस्ताक्षर हैं। शेयर किए गए लेटर पर सब कुछ गलत लिखा है। काजी-ए-हिंद द्वारा इस तरह का कोई पत्र जारी नहीं हुआ है। आरोप लगाया कि उर्स के बीच माहौल खराब करने के इरादे से यह हरकत की गई है। इंस्पेक्टर कोतवाली हिमांशु निगम ने बताया कि मामले में आरोपित शम्सुज्जमा व शान.
मोहम्मद के विरुद्ध प्राथमिकी लिखकर जांच शुरू कर दी गई है। हर दौर में अच्छाई और बुराई थी। अच्छे और बुरे लोग थे। लेकिन आला हजरत का वो मुकाम था कि उन्होंने हमेशा बुराई को मिटाने की कोशिश की। दरगाह आला हजरत की मरकजी दारुल इफ्ता के वरिष्ठ मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारुकी ने बताया कि आला हजरत ने समाज में फैली हर बुराई को जड़ से मिटाने का काम किया। चाहे वह मजहब से जुड़ी हो या समाज से।
उन्होंने मुल्क की खानकाहों में पैदा खराबियों की भी इस्लाह फरमाई। मुफ्ती फारुकी नेकहा कि कुछ नाम के सूफियों ने लोगों से खुद को सजदा कराना शुरू कर दिया था, इसी तरह कुछ सूफियों ने अपने यहां औरतों से हाथ पांव दबवाना शुरू कर दिया था। कुछ ने तो बड़े बाल बढ़ाकर, दस-दस अंगूठियां पहनकर शरीअत और तरीकत में फर्क बताकर लोगों को गुमराह करना शुरू दिया था,
जिसे आला हजरत ने सख्त रद्द किया और उसे नाजायज व हराम बताया। इस वजह से नाम के सूफियों और खानकाह वालों ने आला हजरत को भला बुरा कहना शुरू कर दिया, मगर आला हजरत इमाम अहमद रजा को अल्लाह ने वो हिम्मत और जुर्रत अता फरमाई थी कि हक बात कहने में कभी किसी अपने बेगाने और बड़े छोटे की परवाह नहीं की।