ईंधन सहित ऊर्जा और खाद उत्पादित कर रहे शिवधनी

के० एस० टी०, गाजीपुर। आत्मनिर्भरता के लिए उत्सर्जित साधनों को ऊर्जा और ईंधन के रूप में उपयोग कर हम अपने पेट्रोलियम निर्भरता को कम कर सकते हैं। क्षेत्र के नुरूद्दीनपुर निवासी किसान शिवधनी तिवारी अपने गोबर गैस प्लांट से सात पारिवारिक सदस्यों के रसोई के लिए ईंधन और खेतों के लिए कांपोस्ट खाद का निर्माण कर लेते हैं।

अपने गोशाला में मात्र दो गोवंश पालने वाले शिवधनी कहते हैं कि मात्र 15 किलो गोबर से प्रतिदिन सुबह शाम सात लोगों का भोजन पकाया जाता है। इस बायोगैस प्लांट से अनवरत पिछले 30 वर्षों से ईंधन सहित ऊर्जा और खाद उत्पादित कर रहे हैं। किसानों की दो प्रमुख जरूरतें बहुत समस्या पैदा करती हैं।

ईंधन की कमी और खेतों के उर्वरक किसानों को तरह-तरह की कठिनाइयां पैदा करती है। किसानों को गोबर तथा लकड़ी के अलावा अन्य कोई पदार्थ सुगमतापूर्वक उपलब्ध नहीं होता है। अगर किसान गोबर के उपले का उपयोग ईंधन के रूप में करता है तो उसे धुंआ, आग और गर्मी, गंदगी की समस्या का सामना करना पड़ता है।

खेतों और सब्जियों में रासायनिक खादों के उपयोग से पर्यावरण सहित मृदा प्रदूषण भी होता है। इन दोनों समस्याओं का समाधान गोबर का दोहरा प्रयोग करके किया जा सकता है। गोबर में ऊर्जा बहुत बड़ी मात्रा में होती है जिसको बायोगैस प्लांट में किण्वन (फर्मंटेशन) करके निकाला जा सकता है। इस ऊर्जा का उपयोर्ग इंधन और प्रकाश के लिए किया जा सकता है।

प्लांट से निकलने वाले गोबर का खाद के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं। गोबर गैस प्लांट लगाने से किसानों र्को इंधन व खाद दोनों की बचत होती है। 30 वर्ष पूर्व खादी ग्रामोद्योग के सौजन्य से 50 फीसद सब्सिडी पर लगाया गया बायोगैस प्लांट आज भी अनवरत सेवा दे रहा है। सरकारी उपेक्षा और प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग कम खर्च में उपयोगी बायोगैस प्लांट की महत्ता को नही समझ पा रहे है। शिवधनी तिवारी, नुरूद्दीनपुर।

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