अब ट्रेन लूटने के दिन गए तो जामताड़ा बना साइबर क्राइम का हेड ऑफिस

के० एस० टी०, जामताड़ा। झारखंड का आर्थिक रूप से एक पिछड़ा जिला। यहां न कोई औद्योगिक प्रतिष्ठान हैैं, न वृहद व्यावसायिक व्यवस्था। यहां का करमाटांड़ (विद्यासागर) रेलवे स्टेशन नई दिल्ली-हावड़ा मेन लाइन पर है। वर्ष 70-80 के दौरान यहां रेल डाका, चेन स्नैचिंग, नशाखुरानी की घटनाएं खूब होती थीं। इसके बाद अगले 20 साल तक मालगाडिय़ों की वैगन ब्रेकिंग की खूब घटनाएं हुईं।

रेल पुलिस व रेलवे सुरक्षा बल ने दबिश बढ़ाई तो ज्यादातर अपराधी पकड़े गए। देश में वर्ष 2005-2006 में स्मार्टफोन और ऑनलाइन का प्रचलन बढ़ा, तब यहां के शातिरों को पैसा उगलने वाली मशीन हाथ लग गई। फिर तो ट्रेन लूटने के दिन गए और यह पूरा इलाका साइबर क्राइम का अड्डा बन गया। हालांकि इनकी कारस्तानियों को पुलिस रिकॉर्ड में आते-आते छह-सात साल लग गए।

2013 सामने दर्ज हुआ साइबर क्राइम का पहला मामला

जामताड़ा जिले में साइबर अपराध का पहला कांड करमाटांड़ थाना में 2013 में अंकित किया गया। इसी वर्ष जिले में चार साइबर केस दर्ज किए गए, तीन अपराधी भी धराए, लेकिन तब से आज तक पुलिस यहां के साइबर अपराध पर लगाम नहीं लगा पाई है। पुलिस एक मॉड्यूल तोडऩे की तैयारी करती है, तो शातिर दूसरा तरीका ढूंढ़ लेते हैं।

मुंबई, दिल्ली, गुजरात में पारंगत हुए : वर्ष 2011-12 में मोबाइल उपयोग का प्रचलन गांव-कस्बों तक पहुंच चुका था। काम की जरूरत के अनुरूप हर के हाथ में मोबाइल आ चुका था। करमाटांड़ के कुछ लोग मुंबई, दिल्ली, गुजरात गए और वहीं साइबर अपराध की ट्रेनिंग ली। इसके बाद घर लौटे और इस अपराध की पौध तैयार कर दी।

पहले ईश्वर चंद्र विद्यासागर से होती थी पहचान

जामताड़ा से 17 किलोमीटर दूर करमाटांड़। कभी देश के महान समाज सुधारक पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की यह कर्मभूमि थी, आज यह साइबर अपराधियों का बड़ा गढ़ है। यहां के लोग न आइटी विशेषज्ञ हैं न बेहद पढ़े-लिखे, लेकिन यहां की गलियो में पांचवीं पास की योग्यता रखने वाले युवाओं तक की अंगुलियां मोबाइल व लैपटॉप पर ऐसे चलती हैं कि पूरी दुनिया इनकी मुट्ठी में है। यहां के युवक फिल्मी सितारों, नेताओं, बड़े-बड़े अधिकारियों के खातों में सेंध लगा चुके हैं। अब देश में जामताड़ा को साइबर अपराध का मुख्यालय (Cybercrime HQ Jamtara) कहा जाने लगा है।

साइबर ठगी

अनपढ़, नॉन मैट्रिक युवाओं की अंगुलियां भी लैपटॉप पर ऐसे नाचतीं कि उनकी मुट्ठी में पूरी दुनिया
फिल्मी सितारे, नेताओं, अफसरों तक को लगा चुके चूना, देशभर की पुलिस को दे रहे चकमा
ठगी से खड़ी की करोड़ों की संपत्ति
पुलिस रिकॉर्ड में इसका सबसे बड़ा उदाहरण सीताराम मंडल है। वह मुंबई से करमाटांड़ लौटा तो ठगी के सहारे करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली। वर्ष 2014 में हजारीबाग, 2015 में नोएडा व 2018 में दिल्ली में सीताराम पर ठगी के मामले दर्ज हुए। अन्य बड़े शहरों की पुलिस का भी वह वांछित है। मंडल इलाके के लगभग 400 युवाओं को ऑनलाइन ठगी सीखा चुका है।

ऑफर के नाम पर शुरू हुई थी ठगी

साइबर अपराधियों ने सबसे पहले ऑफर के नाम पर ठगी शुरू की। वे किसी को मोबाइल पर कॉल कर झांसा देते थे कि मोबाइल कंपनी ने उनके नंबर का चयन किया है। उनके नाम पर लक्की ड्रॉ में बाइक, कार, अन्य कीमती सामग्री निकली है। इसके लिए निर्धारित राशि देनी होगी। जो झांसे में आ जाते, उन्हेंं स्थानीय व्यक्ति का खाता नंबर देकर रुपये मंगाते थे। फिर इनाम के नाम पर पार्सल से ईंट-पत्थर आदि भेज दिया जाता था। समय बदलता गया और ठगों के तरीके भी, मगर नहीं बदला तो साइबर अपराध की दुनिया में जामताड़ा नाम। यहां की कहानी वेब सीरीज पर भी धूम मचा चुकी है।

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