जो खूब लड़ी, बिठूर स्थित रानी लक्ष्मीबाई घाट पर दुर्दशा में पड़ी….

के० एस० टी०,कानपुर नगर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में बिठूर स्थित रानी लक्ष्मीबाई घाट पर रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा देख आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। ये वही रानी लक्ष्मीबाई हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। कनपुर से देश की आजादी के लिए पहली आवाज उठी थी।

1857 के संग्राम का केंद्र बिठूर था। जिसे 1857 के ऐतिहासिक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र भी माना जाता है। बिठूर वही स्थान है जहां, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन बीता है। बिठूर में ही रानी लक्ष्मी बाई ने घुड़सवारी, तीरांदाजी, बारूद बनाना और यु्द्ध करना सीखा था।

नानाराव पेश्वा और तात्या टोपे जैसे वीरों की धरती रहे बिठूर में आज भी कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। जहां पर पेश्वाई संस्कृति के अंश मिलते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि टोपे परिवार की एक पीढ़ी आज भी बैरकपुर में रहती है। लेकिन कानपुर जिला प्रशासन उसकी इस धरोहर को संजोकर.

नही रख पा रहा है आज रानी लक्ष्मी बाई की मूर्ति टूटकर बदहाल हो गई है लेकिन उसको सुधारने के लिए ना तो जिला प्रशासन आगे आ रहा है और ना ही उत्तर प्रदेश सरकार कोई ठोस कदम उठा रही है। स्थानीय लोगों की मानें तो लगता है नानाराव पेशवा का सारा इतिहास कानपुर की धरती से खत्म हो जाएगा।

बिठूर में रानी लक्ष्मी बाई घाट पर वीरांगना श्री रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा क्षतिग्रस्त पड़ी है। वहीं देश वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मना रहा है।

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