मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए। जवान को मैराथन दौड़
13 Apr
रायपुर, संवाददाता। कोरोना वायरस महामारी के संकट के बीच देशभर से कई प्रेरणास्पद वाकये भी सामने आ रहे हैं। कोरोना कर्मवीर एक तरफ अपने परिवार का दायित्व निभा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मानवता की रक्षा के लिए दिन-रात ड्यूटी पर डटे हुए हैं। जज्बा ऐसा कि छुट्टियां रद्द कराकर और कई किलो मीटर का मुश्किल सफर तय कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। तीन दिन में तय की छत्तीसगढ़ के बीजापुर से यूपी के मिर्जापुर तक की दूरी छत्तीसगढ़ में तैनात एक जवान को अपनी मां की मौत के बाद 1100 किमी का दुर्गम सफर पैदल, मालगाड़ियों और नाव में सवार होकर पूरी करनी पड़ी। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (सीएएफ) के जवान संतोष यादव (30) तीन दिन में यह दूरी तय कर अपने गांव पहुंचे। 4 अप्रैल को संतोष की मां की तबीयत अचानक खराब हो गई। अगले दिन वाराणसी के एक अस्पताल में उनकी मौत हो गई। संतोष 7 अप्रैल की सुबह पैदल ही गांव के लिए निकल पड़े। संतोष ने कहा “मैं मां की मौत की खबर सुनकर सिर्फ अपने गांव सीकर पहुंचना चाहता था। छोटा भाई और एक शादीशुदा बहन दोनों मुंबई में रहते हैं और लॉकडाउन के कारण उनका गांव पहुंचना संभव नहीं था। ऐसी स्थिति में मैं अपने पिता को अकेला नहीं छोड़ सकता था। संतोष ने बताया, ‘मैं किसी तरह छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचना चाहता था। जगदलपुर पहुंचने के लिए बीजापुर से धान से लदे ट्रक पर लिफ्ट ली। रायपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर कोंटागांव में एक मिनी ट्रक का मैंने दो घंटे तक इंतजार किया। वहां पुलिस को मैंने अपनी स्थिति बताई। वहां तैनात एक अधिकारी मुझे जानते थे। उन्होंने दवाई ले जाने वाले वाहन से रायपुर तक पहुंचाने में मेरी मदद की। रायपुर से मैं रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) में तैनात एक मित्र की मदद से एक मालगाड़ी में सवार हुआ। 10 अप्रैल की सुबह मैं यूपी के चुनार पहुंचा जो मेरे गांव का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन था। इसके बाद गांव तक पहुंचने के लिए मुझे गंगा में नाव की सवारी करनी पड़ी और तीन दिन बाद घर पहुंच गया।