पंचायत चुनाव में सियासत की चौसर बिना लड़े हार गए सूरमा
24 Mar
के० एस० टी०,कानपुर संवाददाता।प्रधान, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ब्लाक प्रमुख की सीटों को लेकर आरक्षण जारी हो चुका है और कुछ सीटों पर आपत्तियां भी लग गई हैं। चौबेपुर ब्लॉक प्रमुख पद के आरक्षण को लेकर आपत्ति की गई है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी सरगर्मी भी तेज हो गई।
आरक्षण के हिसाब से कौन चुनाव लड़ेगा और कौन बिना लड़े बाहर होगा, इसका आकलन कर जीत हार की गणित लगनी शुरू हो चुकी है, जिनकी दावेदारी आरक्षण ने खत्म कर दी, अब वह परेशान हैं, मायूस हैं। दरअसल उन्होंने पूर्व सूची जारी होने के बाद ही दावेदारी ठोंक दी थी.
लेकिन नई आरक्षण सूची जारी होने के बाद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। इन्हे सियासत की चौसर पर बिना लड़े ही हार जाने वाला सूरमा माना जा रहा है। बिल्हौर की बंबियापुर से ऐसी ही एक सीट है जो पहले सामान्य थी। यहां से एक दावेदार ब्लाक प्रमुख बनना चाहते थे,
लेकिन सीट आरक्षित होने के बाद अब चुनाव लडऩे पर ही संकट आ गया। सरसौल सीट से एक सामान्य जाति के दावेदार भी ब्लाक प्रमुख बनने की चाहत रखते थे। लंबे समय से सक्रिय भी थे, लेकिन सीट आरक्षित होते ही ये सपना चूर-चूर हो गया। “लाखों खर्च कर चुके अब पछता रहे”
पंचायत चुनाव की नई आरक्षण सूची जारी हुई तो सरसौल ब्लाक में कोई खुश हुआ तो कोई निराश। यहां बड़ी व रसूखदार मानी जाने वाली डेढ़ दर्जन ग्राम पंचायतों में बड़ा बदलाव हुआ है। इनमें से कुछ में तो प्रत्याशियों ने वोटरों को लुभाने के लिए लाखों रुपये तक खर्च कर दिए,
लेकिन आरक्षण बदलने से वो सियासत के जोड़-तोड़ वाले समीकरण नहीं साध पाएंगे। “इन सीटों पर बदले समीकरण” सरसौल ब्लाक अंतर्गत सबसे बड़ी ग्राम पंचायत खुद सरसौल है। यहां के प्रधान को लोग मिनी विधायक का दर्जा देते हैं। पूर्व में जारी आरक्षण सूची में यह सीट अनारक्षित थी लेकिन अब अनुसूचित जाति हो गई है।
महाराजपुर पिछड़ा वर्ग महिला से अनारक्षित, हाथीपुर पिछड़ा वर्ग से अनारक्षित, नागापुर अनुसूचित जाति से समान्य, डोमनपुर अनुसूचित जाति से महिला, पुरवामीर पिछड़ा वर्ग से अनारक्षित, सुनहला अनारक्षित से अनुसूचित जाति, महोली पिछड़ा वर्ग से अनुसूचित जाति, विपौसी अनारक्षित से अनुसूचित जाति और खरौंटी अनुसूचित जाति से महिला आरक्षित हो गई है।