◆ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड़ के कारण इतने बड़़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए
अनाथ बच्चों का मांगा ब्योरा
न्यायालय ने कहा कि जिला प्रशासन प्राधिकारी ऐसे अनाथ बच्चों की ताजा जानकारी शनिवार शाम तक एनसीपीसीआर की ‘बाल स्वराज’ वेबसाइट पर ड़ाले। उसने कहा‚ हमारा मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार महामारी के कारण अपने माता–पिता में से किसी एक को या दोनों को खोने वाले बच्चों की पहचान पर ताजा जानकारी हासिल करें और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाए। अगली सुनवाई एक जून को की जाएगी।
के० एस० टी०,नई दिल्ली संवाददाता।भारत में कोविड़ की दूसरी लहर ने जाने कितने ही घरों को उजाड़़ दिया। किसी ने अपनी मां खोई‚ किसी ने बाप तो किसी के घर का इकलौता कमाने वाला चला गया। इन सबसे बढ़कर‚
इस क्रूर महामारी का सबसे भयावह रूप उन घरों में देखने को मिला‚ जहां मां–बाप दोनों को लील कर इसने सैकड़़ों बच्चों को अनाथ बना दिया। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इन अनाथ बच्चों को लेकर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए.
कहा कि वह कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड़-19 महामारी के कारण इतने बड़़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए। शीर्ष कोर्ट ने राज्य प्राधिकारियों को उनकी तत्काल पहचान करने तथा उन्हें राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने राज्य सरकार से सड़़कों पर भूख से तड़़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए कहा और जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालतों के किसी भी अगले आदेश का इंतजार किए बिना फौरन उनकी देखभाल की जाए।
न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने जिला प्रशासन को शनिवार शाम तक अनाथ बच्चों की पहचान करने और उनकी जानकारियां राष्ट्रीय बाल अपराध संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट पर ड़ालने के निर्देश दिए।