कोटा से लौटे छात्रों का छलका दर्द

कानपुर, संवाददाता। कोटा से कानपुर पहुंचे छात्रों का दर्द छलका वह बोले इन दिनों हॉस्टल जेल जैसा बन गया था । कोटा (राजस्थान) में इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग करने वाले शहर और आसपास के जिलों के 36 विद्यार्थी शनिवार को दो बसों से झकरकटी बस अड्डे पहुंच गए। यहां मौजूद मेडिकल टीम ने सभी का चेकअप और थर्मल स्क्रीनिंग की। रिकॉर्ड दर्ज कर सभी से होम क्वारंटीन में रहने को कहा गया है। लॉकडाउन के कारण कोटा में फंसे छात्रों ने सोशल मीडिया और ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सूबे के आलाधिकारियों पर अपनी परेशानियां बताई थीं।

इसके बाद यूपी रोडवेज की बसें उन्हें लेने कोटा गई थीं। शनिवार को एक बस से आठ और दूसरी बस से 28 छात्र झकरकटी पहुंचे। छात्र-छात्राओं से जब लॉकडाउन में वहां का माहौल पूछा गया तो वे दहशतजदा हो गए। बताया कि इस समय हॉस्टल जेल की तरह हो गया था और वहां खाना भी कैदियों जैसा दिया जाता था। स्क्रीनिंग के दौरान बस अड्डे पर एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, एसीएम सेकेंड व बस अड्डे के एआरएम राजेश सिंह मौजूद थे। एआरएम ने बताया कि हो सकता है कि कुछ और छात्र अन्य बसों से देर रात तक यहां पहुंचे। लॉकडाउन में हॉस्टल जेल की तरह थी। जहां सिर्फ हम लोग कैद ही नहीं थे बल्कि खाना भी कैदियों वाला हो गया था। दाल पतली हो गई थी और रोटियों में कटौती की जा रही थी। जाह्नवी तिवारी, किदवई नगर लॉकडाउन में न तो कोचिंग जा पा रही थी और न ही तैयारी हो पा रही थी। कोटा में इस माहौल में रहना एक सजा लग रहा था। डिप्रेशन जैसे हालात सभी छात्र-छात्राओं में थे। अब उन्नाव से भाई बाइक से लेने झकरकटी आ रहा है। शुचि बाजपेई, उन्नाव वहां फंसे लोगों को खाने की सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही थी।

हॉस्टल में सुविधाएं कम कर दी गई थीं। कभी नाश्ता मिलता तो कभी नहीं मिलता था। स्थानीय न होने से संकट ज्यादा था। अंजलि राकेश, रामादेवी आईआईटी की कोचिंग करने की सोच रहा था। वहां पता करने गया था लेकिन तब तक लॉकडाउन हो गया और वहां फंस गया। कानपुर के रहने वालों ने वहां मदद की। फिर वहां हॉस्टल लेना पड़ा। वात्सल्य गुप्ता, बिरहाना रोड शुक्रवार शाम को कोचिंग की तरफ से मैसेज आया कि जो लोग कानपुर के हैं, वह अपना अपना सामान पैक कर लें। सुबह कोटा बस अड्डे से उन्हें बस मिलेगी। मैं औैरैया का रहने वाला हूं। झकरकटी तो आ गया हूं लेकिन अब यह कोई बताने वाला नहीं कि औरैया कैसे जाऊंगा। आकर्ष दुबे, औरैया जो भी विद्यार्थी आए हैं, उन्हें होम क्वारंटाइन करने के निर्देश प्रशासन ने दिए हैं। जब तक छात्रों के परिवार से कोई नहीं आता है, बच्चे बस अड्डे पर ही सुरक्षित रूप से हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। राजेश सिंह, एआरएम, झकरकटी बस अड्डालॉकडाउन में हॉस्टल जेल की तरह थी। जहां सिर्फ हम लोग कैद ही नहीं थे बल्कि खाना भी कैदियों वाला हो गया था। दाल पतली हो गई थी और रोटियों में कटौती की जा रही थी। जाह्नवी तिवारी, किदवई नगर

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