शातिर अपराधियों से भी तार जुड़े हो सकते हैं कार्तिकेय के!

◆ असलहे प्रकरण में बाबू की बर्खास्तगी का मामला
◆ अधिकारियों की विश्वास में लेने के लिए करीबी बनता है पहले
◆ बर्खास्तगी के बाद फाइल गई ठंडे बस्ते में


के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। फर्जी लाइसेंस मामले में बर्खास्त हुए बाबू के तार सफेदपोशों के साथ-साथ शातिर अपराधियों से भी जुड़े थे। इस बात की गुप्त रूप से अधिकारिक स्तर पर चर्चाएं हैं। हालांकि बाबू की बर्खास्तगी के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा ताकि और भी मामले खुले नहीं।

कलेक्ट्रेट सूत्रों के मुताबिक तमाम अधिकारियों का मुंह लगा क्लर्क के पद में तैनात कार्तिकेय यादव अपने शहर के ऊंचे सम्बंधो को दिखाकर अधिकारियों को प्रभाव में लेता था। उसके बाद अपने विश्वास पर अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाता था। चूंकि अधिकारियों का विश्वास था कि कार्तिकेय कभी भी नौकरी को खतरे में डालने वाला काम नहीं करेगा।

जिसका वह खूब लाभ उठाता था। सत्ता पक्ष के साथ-साथ शहर के रसूखदार लोगों के करीब होने के लिए वह उनके किसी तरह के काम करने के लिए तैयार रहता था। जिसके एवज में आए दिन अच्छे होटलों में उसकी पार्टियां होती थी। जिसमें वह अपने करीबियों को इसलिए ले जाता था ताकि वे उसकी ताकत से भली भांति परिचित होकर प्रभावित हो सके।

जिसके बाद वह सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर अच्छी खासी कमाई करता था। बताया तो यह भी जाता है कि शहर की अपराधिक गलियारों के शातिरों से भी उसकी अच्छी पटरी थी। जरूरत पड़ने पर कारतूस बगैरह अपने मिलने वाले लाइसेंस धारकों के लाइसेंस से वह कारतूस भी दिलवा देता था। जिसके एवज में यह अपराधी उसके लिए दिन-रात्रि तन, मन धन से हाजिर रहते थे।

जिसमें उसने अच्छी खासी सम्पत्ति भी करीबियों के नाम बनाई है। हालांकि चर्चा है कि सफेद पोशों के दबाव में कार्तिकेय यादव की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।

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