फेसबुक व इंस्टाग्राम में दोस्ती के बाद लाखों ठगी

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। फेसबुक व इंस्टाग्राम पर दोस्ती के बाद गिफ्ट भेजने का झांसा देकर लाखों रुपये की ठगी के मामले में जेल भेजे गए नाइजीरिया निवासी ओकुवारिमा मोसिस की महिला मित्र मैंडी को भी पुलिस ने आखिरकार पकड़ लिया। मैंडी मूलरूप से मेघालय राज्य के शिलांग की रहने वाली है और वही पीडि़तों को कस्टम विभाग या आयकर विभाग का अधिकारी बताकर फोन करके मुकदमे में फंसाने की धमकी देकर रकम खातों में जमा कराती थी।

पुलिस आरोपित के बाकी साथियों की तलाश में जुटी है। नवाबगंज निवासी युवती की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने छह दिन पूर्व नाइजीरिया निवासी शातिर ठग मोसिस को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। आरोपित ने युवती से इंस्टाग्राम पर दोस्ती की थी और हीरों का हार भेजने का झांसा दिया था। तीन जून को एक महिला ने फोन करके युवती को कस्टम विभाग का अधिकारी बताया और टैक्स, मनीलैंडिंग प्रमाणपत्र आदि के.

नाम पर करीब 4.05 लाख रुपये खाते में जमा करा लिए थे। पुलिस ने मोसिस के फोन नंबरों की काल डिटेल के आधार पर मूल रूप से शिलांग (मेघालय) की और वर्तमान में दिल्ली के मालवीय नगर में रह रही मैंडी का पता लगाया था। काल डिटेल के आधार पर गुरुवार को पुलिस ने मैंडी को पकड़ा और कानपुर लाकर पूछताछ शुरू की। क्राइम ब्रांच सूत्रों ने बताया कि मैंडी दिल्ली में रहकर नौकरी करती है और साउथ दिल्ली के एक चर्च में उसकी मुलाकात मोसिस व.

उसके अन्य नाइजीरियन दोस्तों से हुई थी। मोसिस ने उसे पैसा कमाने का आसान रास्ता बताया तो उनके गिरोह में शामिल हो गई थी। इसके बाद वह पीडि़तों को फोन करके कस्टम विभाग का अधिकारी बताकर डराती थी और पैसे खातों में जमा कराती थी। उसके फोन की काल डिटेल में भी पुलिस को कई अन्य लोगों के नंबर मिले हैं, उनकी जांच की जा रही है।

मोसिस की तरह अवैध रूप से रह रहे कई नाइजीरियन-: मैंडी ने पुलिस को जानकारी दी है कि मोसिस की ही तरह कई और नाइजीरियन भी नई दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे हैं। कोई मेडिकल वीजा पर तो कोई टूरिस्ट वीजा पर भारत आया था। वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी वह वापस अपने देश नहीं गए। यहां उन्होंने ठगों का गिरोह बनाकर आनलाइन पैसा जमा कराना शुरू कर दिया।

 

चर्च में होती थी मीटिंग, व्हाट्एस पर मिलता था टास्क-: मैंडी ने बताया कि मोसिस व उसके साथियों ने चर्च के नाम से ही एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था। इसमें उसके साथ ही कई नाइजीरियन युवक, युवतियां और भारतीय लोग शामिल हैं। शिकार को जाल में फंसाने के बाद मोसिस व उसके साथी ईमेल भेजते थे। इसमें किसी गिफ्ट बताकर एक पैकेट की फोटो व कुछ डिटेल लिखी होती थी। इसके बाद मोसिस की ओर से मैसेज आने पर वह शिकार के नंबर पर फोन करती थी और उसे कानूनी कार्रवाई का डर दिखाकर खाते में रकम जमा कराती थी। उसके अलावा कुछ युवक भी इसी तरह से फोन करके पैसे जमा करवाते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *