के० एस० टी०,कानपुर नगर/बिल्हौर संवाददाता। सब्जी के राजा आलू ने विगत साल किसानों को मालामाल कर दिया। वहीं इस वर्ष आलू का भाव धड़ाम हो गया है। पिछले साल आलू 16 सौ रुपये पैकेट बिक गया तो किसान के चेहरे पर चमक आ गई सबने और ज्यादा आलू बोया। पिछले एक दशक में दोगुने हो गए शीतगृहों में सब आलू समा गया।
अब जब खपत कम और आलू जरूरत से ज्यादा है तो बाजार टूटना स्वाभाविक था। रही सही कसर कोरोना ने पूरी कर दी। शनिवार‚ रविवार की बंदी के चलते होटल‚ रेस्टोरेंट और दुकानें बंद ही रहती हैं‚ जिसके चलते न तो लोग बाहर घूमने निकलते और न ही बाजारों में रौनक रहती है। शीतगृह मालिक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष देवेंद्र कटियार गुड्ड़न कहते हैं कि.
अब आप ही बताओ कितने लोग बाजारों में चाट टिक्की खाते मिलते हैं। कोरोना ने सब खेल ही बिगाड़ दिया है। चौबेपुर के युवा शीतगृह मालिक नरेश पांड़ेय बबलू कहते हैं कि अगर सरकार निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा ले तो शायद बाजार की दशा सुधर जाए। उधर रौगांव के सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व प्रधान ठाकुर सुरेंद्र सिंह कहते हैं कि रूस में आलू से.
वोड़का शराब बनती है। उत्तर प्रदेश में पिछले 40 सालों से वोड़का बनाने की फैक्ट्री लगाने की बातें चल रही हैं। किसी पार्टी के नेता ने किसानों की भावनाओं और उम्मीदों से खिलवाड़ करने में कसर नहीं छोड़ी है। नतीजा सामने है‚ जहां अमेरिका में मक्के से पेट्रोल तैयार किया जाने लगा है‚ वहीं भारत में दो दर्जन जिलों के लाखों किसानों की प्रमुख फसल आलू को पिछले कई सालों की तरह फिर इस बार कूड़े में फेंकने के हालात पैदा हो रहे हैं।