किशोरी की आबरू लूटने में पूर्व इंस्पेक्टर गिरफ्तार
10 Aug
के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता।घर की देखरेख करनेवाले परिवार की तेरह साल की किशोरी से दुष्कर्म में पुलिस ने चर्चित रिटायर्ड़ इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है। पुलिस किशोरी का ड़ाक्टरी परीक्षण करा रही है। कई साल पहले बांदा के एक नेता को गिरफ्तार कर लाखों के नकली नोट बरामद करने का दावा करने के मामले में भी दिनेश त्रिपाठी फंसे थे और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
वर्ष 2016 में झांसी से रिटायर हुए इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी मूलतः इलाहाबाद के जार्ज टाउन क्षेत्र के निवासी हैं। नगर में बरसों तैनात रहने के कारण उन्होंने यहां चकेरी थाना क्षेत्र अंतर्गत फ्रेंड्स कॉलोनी में भी मकान बना रखा है‚ जिसकी देखरेख करने के लिये एक परिवार को रखा है‚ जिसमें दंपति के अलावा 13 साल की बेटी व उससे छोटा बेटा है। त्रिपाठी जब–तब यहां आते–जाते रहते हैं।
देखरेख करने वाले परिवार के मुखिया ने सोमवार को चकेरी थाने पहुंचकर आरोप लगाया कि रिटायर्ड़ इंस्पेक्टर ने उनकी बेटी की आबरू लूट ली है। उसने बताया कि तीन दिन पूर्व दिनेश त्रिपाठी कानपुर आये थे। रविवार देर शाम को उसकी बेटी व बेटा त्रिपाठी के कमरे में टीवी देखने गये थे। थोड़़ी देर बाद बेटा लौट आया। बेटी काफी देर तक नहीं आयी तो वह देखने गया। दरवाजे को धक्का देते ही वह अवाक रह गया।
अंदर दिनेश त्रिपाठी उसकी बेटी की आबरू लूट रहे थे और वह बुरी तरह छटपटा और बिलख रही थी। पीड़ित पिता ने बताया कि दिनेश त्रिपाठी ने उससे यह बात किसी को न बताने की घुड़़की दी और कहा कि तुम मेरा कुछ बिगाड़ नहीं पाओगे‚ उल्टे बदनामी से तुम्हारी बेटी की जिंदगी खराब हो जायेगी। ड़ीसीपी पूर्वी अनूप सिंह ने बताया कि पीड़ित पिता की तहरीर पर भादवि की धारा 376 व 3/4 पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कर.
रिटायर्ड़ इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी को गिरफ्तार कर लिया गया है। मंगलवार को उन्हें अदालत में पेश किया जायेगा। गौरतलब है कि दिनेश त्रिपाठी महानगर में चकेरी‚ कलक्टरगंज समेत कई थानों में बरसों तैनात रहे। कलक्टरगंज थाने में तैनाती के दौरान उन्होंने बांदा के एक कांंग्रेस नेता को गिरफ्तार कर उससे लाखों के जाली नोट बरामद करने का दावा किया था। उपरोक्त नेता ने खुद को बेकसूर बताकर अदालत की शरण ली थी।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था‚ जिसमें त्रिपाठी की गिरफ्तारी व बर्खास्तगी तक के आदेश हो गये थे‚ मगर कानूनी तिकड़़मों से त्रिपाठी ने खुद को बचा लिया। वह मामला अभी भी विचाराधीन है।