अपर पुलिस आयुक्त ने कहा… कानपुर में सिटिजन चार्टर लागू करके पब्लिक सेवाओं को जल्द किया जाएगा बेहतर

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। अपर पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने हाल ही में कार्यभार संभाला है। कानपुर कमिश्नरेट पुलिस में उनके पास मुख्यालय और अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी है। उन्होंने लंबे समय तक असम पुलिस को अपनी सेवाएं दी हैं और उनका अनुभव भी बड़ा है। हमारे संवाददाता ने अपर पुलिस आयुक्त से उनकी आगामी योजनाओं के बारे में बातचीत की तो उन्होंने भविष्य की पुलिसिंग पर न केवल खुलकर बात की, बल्कि उनका मानना है कि अपराध नियंत्रण के साथ-साथ अब पुलिसिंग का मुख्य ध्येय जनोन्मुखी कार्य भी हैं। ऐसे में जल्द ही सिटिजन चार्टर लागू करके पब्लिक सेवाओं को बेहतर किया जाएगा। पेश है उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश…

प्रश्न:- आप लंबे समय तक असम में तैनात रहे हैं। असम और उत्तर प्रदेश की पुलिसिंग में आप क्या अंतर समझते हैं।

उत्तर:- दोनों राज्यों की पुलिसिंग लगभग एक समान है। चुनौतियां भी एक जैसी हैं। असम में जहां अल्फा और माओवादी जैसे संगठन सक्रिय हैं वही उत्तर प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियों की सूचना समय-समय पर आती रहती हैं। चूंकि क्षेत्रफल और जनसंख्या के अनुपात पर बात करें तो यूपी और असम में अपराध की प्रकृति भी लगभग एक जैसी है। एक बात जरूर है कि उत्तर प्रदेश में गुंडा तत्वों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस बेहद सख्त है।

प्रश्न:- उत्तर प्रदेश में काम करने का फैसला खुद लिया या केंद्र सरकार की ओर से आपको भेजा गया है।

उत्तर:- मैं देवरिया का रहने वाला हूं। यहां बड़ी संख्या में अपने लोग हैं। अपनों लोगों के बीच काम करने का अवसर मिले इसके लिए मैं काफी समय से प्रयासरत था। 17-18 साल की नौकरी असम में हो चुकी थी। मैंने स्वयं आवेदन किया और मेरे आवेदन को स्वीकार करते हुए मुझे यहां प्रतिनियुक्त पर भेजा गया है। अपना उत्कृष्ट देने की कोशिश करूंगा।

 

प्रश्न:- आपके पास मुख्यालय का प्रभार है कमिश्नरेट बनने के बाद से पुलिस अधिकारियों के कार्यालय और आवास एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आए प्रयास कहां तक पहुंचे हैं। इसी तरह से नए थानों के प्रस्ताव पर क्या चल रहा है।

उत्तर:- क्रिस्टल पाॄकग में पुलिस कार्यालय के लिए केडीए से बातचीत हो चुकी है। प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, जो कि अंतिम चरण में है। इसी तरह आवास समस्या को लेकर भी प्रस्ताव भेजा गया है, जिस पर विचार चल रहा है। सात थानों के प्रस्ताव भी भेजे गए हैं। जनसंख्या की दृष्टि से अभी और गुंजाइश है। कानपुर में पुलिसिंग के पुनर्गठन और पुनस्र्थापना की प्रक्रिया चल रही है। व्यवस्था को सुचारु होने में कुछ समय लगेगा। मेरा अनुमान है कि एक से डेढ़ महीने के बीच में सब समस्याएं दूर हो जाएंगी।

 

प्रश्न:- आपके पास अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी है। कानपुर में तैनाती को 20 दिन पूरे हो चुके हैं। आपके हिसाब से यहां किस तरह का अपराध सर्वाधिक है।

उत्तर:- जहां तक मैंने अब तक देखा है कानपुर में क्राइम अगेंस्ट प्रॉपर्टी की समस्या सर्वाधिक है। भू माफिया काफी सक्रिय हैं। इसके अलावा वाहनों की चोरी, चैन स्नैचिंग, चोरी और लूट की घटनाएं भी होती हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं फिलहाल यहां कम देखने को मिल रही हैं। भूमि संबंधी विवाद और पारिवारिक संपत्ति विवाद काफी संख्या में हैं। इसकी वजह से यहां अपराध भी अधिक हैं।

 

प्रश्न:- अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए आप क्या कर रहे हैं

उत्तर:- हाल के दिनों में क्राइम ब्रांच ने काफी अच्छा काम किया है। लोगों का भरोसा क्राइम ब्रांच के प्रति बढ़ा है, इसलिए हम संख्याबल और तकनीक के आधार पर क्राइम ब्रांच को और मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं। फोरेंसिक टीम, टेक्निकल व डिजिटल टीम से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। पुलिस आयुक्त महोदय का निर्देश है कि कानपुर में कमिश्नरेट लागू हुई है तो इसका असर भी दिखाई पड?ा चाहिए। हम सुपर सिस्टम बनाने की ओर अग्रसर हैं। इसका मतलब यह है कि कानपुर पुलिस को एक ऐसी व्यवस्था देना चाहते हैं जिसमें किसी अधिकारी के आने या जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा बल्कि सिस्टम अपने आप काम करेगा, जिसमें अपराध और अपराधी दोनों पर अंकुश लगेगा।

प्रश्न:- पूर्व की पुलिस व्यवस्था में थानों में गुडवर्क खूब होते थे, जबकि अब क्राइम ब्रांच भारी पड़ रही है।

उत्तर:- थानों को जनोन्मुखी बनाया जा रहा है। इसके लिए जल्द ही सिटिजन चार्टर लागू किया जाएगा। प्रमाणपत्र, शिकायतों के निस्तारण व अन्य आवेदनों के निस्तारित होने का समय नियत किया जाएगा। इस पर तेजी से काम हो रहा है। थानों में नागरिक सेवाओं को बेहतर करने की कोशिश है। इसी लिए जिम्मेदारियां तय की जा रही हैं।

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