गेहूं–चावल के मुकाबले ज्यादा पोषक हैं बाजरे के दाने

के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। बाजरे का दाना गेहूं–चावल के मुकाबले ज्यादा पोषक है। यही कारण है कि सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि कुपोषण की समस्या दूर करने को बाजरे की खेती प्रोत्साहित करने में जुटा है। बाजरा देश के शुष्क व अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में जहां एक प्रमुख खाद्य फसल है‚ वहीं पशुओं के लिए पौष्टिक चारा उत्पादन के लिए भी बाजरे की खेती की जाती है।

सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के बाजरा वैज्ञानिक ड़ॉ. हरीश चन्द्र सिंह का कहना है कि पोषण की दृष्टि से बाजरे के दाने में अपेक्षाकृत अधिक प्रोटीन 10.8 से 14.5 प्रतिशत और वसा 0.4 से 8 प्रतिशत तक मिलती है। कार्बोहाइड्रे़ट‚ खनिज तत्व‚ कैल्शियम‚ कैरोटीन‚ राइबोफ्लेविन‚ विटामिन बी 2‚ नाइसीन व विटामिन बी 6 भी इसमें प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। गेहूं एवं चावल की अपेक्षा इसमें लौह तत्व भी अधिक होते हैं।

उन्होंने बताया कि अधिक ऊर्जा मान के कारण इसे सर्दियों में खाना अधिक पसंद किया जाता है। ड़ॉ० सिंह ने बताया कि भारत विश्व का अग्रणी बाजरा उत्पादक देश है। यहां लगभग 85 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बाजरे की खेती की जाती है। इसमें 87 प्रतिशत क्षेत्र राजस्थान‚ महाराष्ट्र‚ गुजरात‚ हरियाणा व उप्र में है। भारत में कुल बाजरे का क्षेत्रफल का लगभग 95 प्रतिशत असिंचित है।

उन्होंने कृषकों को वर्ष न होने के कारण भूमि में नमी बनाये रखने का सुझाव दिया है। सितंबर माह में बाजरे की फसल में लगभग बालियां निकलने लगती हैं‚ जिसमें रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है। रोग नियंत्रण के लिए जरूरी दवाओं का छिड़़काव किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिक बाजरे का उत्पादन और लाभ के लिए उन्नत तकनीक को अपनाना आवश्यक है।

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