बाजार का खान पान कही रोगी न बना दे !

के० एस० टी०,गाजीपुर संवाददाता। खाद्य पदार्थ के बिना भला जीवन कहां संभव है, लेकिन वह स्वास्थ्यवर्धक व सुरक्षित हों, इसका ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। आज कल बाजार में मिलने वाले अधिकतर खाद्य पदार्थ मिलावटी व स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं। दुकानों से कोई भी खाद्य पदार्थ खरीदते समय हमें उसकी गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए, ताकि हम स्वस्थ और मस्त रह सकें। हालांकि, लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी खाद्य सुरक्षा व औषधि विभाग की है।

अगर विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो दूध से लेकर तेल, घी, दाल व मशालों में सबसे अधिक मिलावट पाई गई। सरसों तेल में खेल कई बार पकड़ा जा चुका है। अरहर दाल में खेसारी की मिलावट तो यहां आम बात है। गाजीपुर से विनोद यादव की रिपोर्ट, चार घंटे के बाद न खाएं समोसा, पकौड़ी व ब्रेड पकौड़ा खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन (एफएसएसआइ) के मानक के अनुसार चार घंटे बाद तेल में तली हुई चीजें जैसे- समोसा, ब्रेड पकौड़ा, पकौड़ी आलू की बनी हुई टिक्की आदि.

नहीं खाना चाहिए। इसके बाद खाने पर इसमें रोगों को पैदा करने वाले जीवाणु पैदा हो जाते हैं, जो लोगों को बीमार कर सकते हैं। गर्मी के दिनों में इससे अधिक समय की तली हुई चीजें खाने से फूड प्वाइंजनिग होने की संभावना बढ़ जाती है। न खरीदें कटे हुए फल, ठेले पर खुले में बिकने वाले कटे फल जैसे- पपीता, तरबूज, खीरा आदि ग्राहकों को नहीं खाना चाहिए। दुकानदार भी इस बात का ध्यान रखें की जब ग्राहक दुकान पर आए तभी फल को छीलें व काटें।

दो से तीन घंटे से अधिक का जूस न करें प्रयोग, गर्मी के दिनों में आम, केला, बेल आदि का जूस ठेले व दुकानों पर सुबह बना कर रख दिया जाता है और देर रात तक ग्राहकों को बेचते हैं, जबकि दो से तीन घंटे से अधिक का जूस प्रयोग करने लायक नहीं होता है। दुकानदार इस बात का ध्यान रखें कि जब ग्राहक आए तभी जूस तैयार करें और ग्राहक को दें। कलाकंद व उसका वेरिएंट एक दिन से अधिक नहीं होता प्रयोग के लायक, एफएसएसआइ के निमय के अनुसार कलाकंद व.

उसका वेरिएंट एक दिन से अधिक प्रयोग नहीं करना चाहिए। वहीं दूध से बनी छेना व खोवा की मिठाई के लिए दो दिन की समय सीमा निर्धारित है। बूंदी के लड्डू चार दिन व बेसन व आटा के लड्डू अधिकतम एक सप्ताह तक प्रयोग किए जा सकते हैं। विभाग ले रहा एक माह का 20 नमूने, खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन ने 2021-22 में 241 नमूने तथा 2022-23 के दो माह में 22 नमूना भरा है, अब तक 2020-21, 2021-22 का मिलाकर कुल 243 जांच रिपोर्ट आई है,

इसमें से 142 नूमने अधोमानक के विहीन पाए गए हैं। जिले में लिए गए नूमनों में 50 फीसद से अधिक नमूने अधोमानक के मिलना खाद्य पदार्थों में खुली मिलावट को दर्शाता है जबकि जिले की जनसंख्या वर्तमान में लगभग 40 लाख है। एफएसएसआइ के मानक के अनुसार लगभग 200 व्यक्ति पर एक दुकान मानी जाती है। इसके अनुसार भी जिले में लगभग 20 हजार दुकानें होनी चाहिए। 20 हजार दुकानों में महीने में 20 नमूना लेकर विभाग लोगों को शुद्ध खाद्य पदार्थ कैसे उपलब्ध करा पाएगा।

दूध के लिए गए 56 नमूनों में से अभी तक 30 की रिपोर्ट आई है जिसमें से 25 नमूने अधोमानक के विपरीत पाए गए हैं, जो 83 फीसद है। वहीं खोवा के 23 नमूने में 11 फेल पाए गए। विभाग ने किया 149 व्यापारियों पर मुकदमा, विभाग ने मिलावटखोरों के विरुद्ध जिले के एडीएम कोर्ट में 129 व सीजीएम कोर्ट में 20 मुकदमा दायर किया है। इसमें से सीजीएम कोर्ट में पांच मुकदमे के फैसले में 7000 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया है। 30 वर्ष बाद आया मिलावट का फैसला,

एक साल की सजा व दो हजार का जुर्माना, जंगीपुर में मुहम्मद उस्मान के दुकान से 18 दिसंबर 1991 को 3.45 बजे खाद्य निरीक्षक बीआर प्रजापति खाद्य निरीक्षक द्वारा 750 ग्राम चना छह रुपये नकद देकर नमूना खरीदा और सीलकर जांच के लिए भेज दिया गया। जब इसकी जांच रिपोर्ट आई तो इसमें नमूने में पांच फीसद साबूत सेखारी की मिलावट पाई गई। इसके आधार पर 18 जून 1992 को मुहम्मद उस्मान के खिलाफ सीजीएम कोर्ट में विभाग ने मुकदमा दायर कराया।

जिसका फैसला तीस वर्ष बाद 31 मई 2022 को एसीजीएम कोर्ट में सुनवाई करते हुए घनश्याम शुक्ल ने अभियुक्त को एक वर्ष की सजा व दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया। एक तेल को तीन बार से अधिक गर्म न करें। पहले से बने समोसे व कटे हुए फल न खाएं। दूध, मिठाई, तेल व दाल आदि का प्रयोग उसकी शुद्धता सुनिश्चित करने के बाद ही करें।

– अजित मिश्र, सहायक उपायुक्त, खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन।

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