64 वर्ष बाद बदलेंगे यूपी विधानसभा के कई पुराने नियम

के० एस० टी०,लखनऊ संवाददाता। आठ बार के विधायक सतीश महाना को 29 मार्च, 2022 को जब उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया गया तो उन्होंने कदम नहीं खींचे। अंग्रेजों के जमाने की परंपरा को किनारे कर सहज भाव से नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव का हाथ थामे बढ़ चले। उसी परिदृश्य ने इन संभावनाओं की प्रस्तावना लिख दी थी कि इस आसंदी के 18वें कार्यकाल में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

हुआ भी वही, सदन में लोकतांत्रिक सद्भाव और दायित्वबोध की नई लकीर खींचना महाना ने शुरू कर दिया। वह बदलाव देश में चर्चा का केंद्र बन चुके हैं और अब 64 वर्ष बाद ‘उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियमावली-1958’ के कई गैर जरूरी नियमों में भी बदलाव होने जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी संभालते ही सतीश महाना ने सबसे पहले ई-विधान की व्यवस्था लागू की। विधानसभा की कार्यवाही को कागजरहित बनाने के.

लिए सभी सदस्यों के लिए टैबलेट लगवाए गए। सभी को प्रशिक्षण दिया गया और वह प्रक्रिया शुरू हो गई, जो 19 सितंबर से शुरू हो रहे मानसून सत्र में और परिपक्व होती नजर आएगी। समय की जरूरत को देखते हुए महाना ने अभी और बदलावों का मन बनाया है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अब भी कई गैर जरूरी नियम-: विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने बताया कि विधानसभा की नियमावली 1958 की है। समय-समय पर कुछ नियम संशोधित होते रहे हैं, लेकिन अभी भी कई नियम ऐसे हैं, जो गैर जरूरी माने जा सकते हैं। उन्हें बदला जाना है। इसके लिए नियमावली की समीक्षा कराई जा रही है। विधानसभा की नियम समिति निर्णय करेगी कि कौन-कौन से नियम बदले जाएं। इस प्रक्रिया के तहत ई-विधान के नियम भी शामिल किए जाने हैं। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

टूटा मिथक, एक बार भी बाधित न हुआ सदन-: विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद जैसे ही सपा गठबंधन के 125 विधायक जीतकर सदन में पहुंचे, वैसे ही अटकलें लगाई जाने लगीं कि अब सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव बढ़ेगा। 23 मई, 2022 को बजट सत्र शुरू होने के पहले पारंपरिक खबर भी जुबां पर थी- ‘सदन में हंगामे के आसार!’ परिस्थितियां वैसी बनीं भी। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और.

नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच अप्रत्याशित रूप से तीखी झड़प हुई। एक दिन भाजपा और सपा के सदस्यों ने ताल तक ठोंक दी, लेकिन उन तनावपूर्ण परिस्थितियों को अपने नेतृत्व कौशल से विधानसभा अध्यक्ष ने संभाला और विधानसभा की कार्यवाही को करीब से देख रहे जानकारों की स्मृति में रिकार्ड दर्ज हो गया है। लंबे समय बाद देखने को मिला कि नौ दिन चला बजट सत्र एक बार भी स्थगित नहीं हुआ। यही नहीं, देर शाम तक सदन की कार्यवाही भी काफी समय बाद चली।

सबका साथ, सबका विकास-: जिस दिन सतीश महाना ने विधानसभा अध्यक्ष की आसंदी संभाली, उस दिन विपक्ष ने भी इस अनुभवी राजनेता से उम्मीदें जोड़ लीं। अखिलेश यादव ने भाषण में कहा था ‘आप राइट साइड (सत्ता पक्ष) से आए हैं, लेकिन ध्यान आपको लेफ्ट (विपक्ष) में रखना है।’ महाना इसी उम्मीद के मुताबिक, सभी विधानसभा सदस्यों के निष्पक्ष अभिभावक की भूमिका में नजर भी आए।

ऐसा पहली बार हुआ, जब विधानसभा अध्यक्ष ने दलीय घेरा तोड़कर वरिष्ठ सदस्य, 40 वर्ष की उम्र तक के सदस्य, महिला विधायक, इंजीनियर और डाक्टर विधायक सहित अन्य प्रोफेशनल डिग्रीधारक विधायकों के समूह बनाए। उन सभी से समूहवार संवाद कर उन्हें कार्यक्षमता का अहसास कराते हुए ‘काउंसिलिंग’ की। सभी दलों के विधायकों को एक समूह में बुलाकर साथ में संवाद करने के पीछे यह उद्देश्य भी रहा कि आपसी दूरियां कम हों और सदन में सद्भाव के साथ विकास के मुद्दों पर चर्चा हो।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

यह भी पहली बार-बार

अब तक विधानसभा सत्र के दौरान एक दिन में अधिकतम दस तारांकित प्रश्न लिए जाने की परंपरा रही है। इसे बजट सत्र में सतीश महाना ने बदला। पहली बार उन्होंने बीस-बीस तारांकित प्रश्न तक लिए, ताकि अधिक से अधिक विधायक अपने क्षेत्र की समस्या सदन में उठा सकें।

सदन के अंदर सभी दलों के सदस्यों का जन्मदिन मनाने की परंपरा शुरू की गई।

विधायकों को सदन छोड़कर कैंटीन में चाय-काफी के लिए न जाना पड़े, इसलिए विधानसभा मंडप के बाहर ही काफी लाबी बनाई जा रही है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

देखे दुनिया, बदला यूपी-: राजनीति में अपराधियों और बाहुबलियों के प्रभाव के छींटे उत्तर प्रदेश पर भी रहे हैं, लेकिन नए विधानसभा अध्यक्ष ने यह संदेश दुनिया तक पहुंचाने का प्रयास किया है कि अब उत्तर प्रदेश बदल रहा है। यहां सक्रिय राजनीति की ओर युवाओं के कदम तेजी से बढ़े हैं। इंजीनियर और डाक्टर विधायक चुनकर सदन में पहुंच रहे हैं। महिलाओं ने विधानसभा सदस्य के रूप में लोकतंत्र में भागीदारी बढ़ाई है। इसके लिए उन्होंने विधायकों के अलग-अलग समूह सूचीबद्ध किए हैं।

यह है उत्तर प्रदेश विधानसभा की तस्वीर-: 18 सदस्य डाक्टर, 16 सदस्य इंजीनियर, 15 सदस्य प्रबंधन डिग्रीधारी, 60 सदस्य विधि स्नातक, 47 महिला सदस्य, 126 सदस्य पहली बार चुनकर आए, 50 सदस्यों की आयु 40 वर्ष से कम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *