किसान बदल सकते हैं गांव की तस्वीर

किसानों के लिए कोरोना और लाकडाउन ने एक नयी दिशा दी है। खेती के लिए कई लोगों की जरूरत पड़ती है। इंसान ही नहीं जानवर भी साथ जुटते हैं। गोवंश से अभिन्न रिश्ता कृषि के चलते ही जुडा। खेती और पशुपालन अन्योन्याश्रित हो गये। गाय ने दूध दिया। उसके बछड़े ने बड़े होकर हल चलाया। बैलगाड़ी से सामान ही इधर से उधर नहीं हुआ बल्कि यातायात की साधन भी यही बैलगाड़ियां रही है।

फसलों को गोबर की खाद मिली लेकिन यह सब एक आदमी से संभव नहीं था। गांव की यह गणित बिगड़ गयी जब वहां के युवा कमाने के लिए बड़े बड़े शहरों की तरफ चले गये। गांवों में पशुपालन धीरे धीरे घटता गया। आज गांवों में पशुपालन नहीं आवारा पशु जरूर हैं जो खेत उजाड़ रहे हैं। किसानों ने ट्रैक्टर से खेत जोतवाना और मशीन से फसल कटवाना मजबूरी में अपनाया है क्योंकि खेती के काम में हाथ बंटाने वाले तो शहर की चकाचैंध में खो गये थे।

कोरोना वायरस के संक्रमण और उससे बचने के लिए लगाए गए लाकडाउन ने गांवों को उनकी सम्पत्ति लौटा दी है। श्रमिकों को गांवों में ही रोजगार मिल सके, इसके लिए केन्द्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया है। किसानों के लिए कयी योजनाएं हैं और अब काम करने वाले हाथ भी मिल गये हैं। इसलिए नयी सोच के साथ साथ वैज्ञानिक खेती की जाए। गांवों में फिर से चहल-पहल शुरू हो सकती है।

इस संदर्भ में सरकार की योजनाएं भी मदद करेंगी। किसानों को खेती-किसानी के लिए सीधे उनके बैंक अकाउंट में पैसे देने वाली योजना प्रधानमंत्री-किसान सम्मान निधि स्कीम की अगली किश्त 1 अगस्त से आनी शुरू हो जाएगी। यानी 2 माह बाद मोदी सरकार किसानों के खाते में 2000 रुपये और डालेगी। इस स्कीम के तहत सालाना तीन किस्त में 6000 रुपये दिए जाते हैं।

पीएम-किसान स्कीम के सीईओ विवेक अग्रवाल ने बताया ‘अगस्त से जो पैसा भेजा जाएगा वो स्कीम की छठीं किस्त होगी। अब तक इस स्कीम के तहत 9.54 करोड़ का डाटा वेरीफाई हो चुका है। मतलब साफ है कि इस योजना में जो भी पैसा भेजा जाएगा उसका लाभ साढ़े नौ करोड़ से अधिक किसानों को मिलेगा।

किसानों से कहा गया है कि वे अपना रिकॉर्ड चेक कर लें ताकि पैसा मिलने में दिक्कत न हो। रिकॉर्ड में कोई भी गड़बड़ी होगी तो निश्चित तौर पर आपको योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। कृषि मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि 1.3 करोड़ किसानों को आवेदन करने के बाद भी इसलिए पैसा नहीं मिल सका है क्योंकि या तो उनके रिकॉर्ड में गड़बड़ी है या फिर आधार कार्ड नहीं है। पीएम किसान सम्मान निधि स्कीम की ऑफीशियल वेबसाइट है।

बेवसाइट को लॉग इन करना होगा। इसमें दिए गए फारमर्स कार्नर वाले टैब में क्लिक करना होगा। अगर आपने पहले आवेदन किया है और आपका आधार ठीक से अपलोड नहीं हुआ है या किसी वजह से आधार नंबर गलत दर्ज हो गया है तो इसकी जानकारी इसमें मिल जाएगी। फार्मर कॉर्नर में किसानों को खुद को ही पीएम किसान योजना में रजिस्टर्ड करने का भी विकल्प दिया गया है।

इसमें सरकार ने सभी लाभार्थियों की पूरी सूची अपलोड कर दी है। आपके आवेदन की स्थिति क्या है. इसकी जानकारी किसान आधार संख्या/बैंक खाता/मोबाइल नंबर के जरिए मालूम कर सकते हैं। जिन किसानों को इस योजना का लाभ सरकार की तरफ से दिया गया है उनके भी नाम राज्य/जिलेवार/ तहसील/गांव के हिसाब से देखे जा सकते हैं। सीधे मंत्रालय से संपर्क करने की सुविधा भी दी गयी है।

चूंकि यह मोदी सरकार की सबसे बड़ी किसान स्कीम है इसलिए किसानों को कई तरह की सहूलियतें भी दी गईं हैं। इसी में एक है हेल्पलाइन नंबर. जिसके जरिए देश के किसी भी हिस्से का किसान सीधे कृषि मंत्रालय से संपर्क कर सकता है। मोदी सरकार ने खेती की तरह ही पशुपालन पर भी जोर देना शुरू कर दिया है। लॉकडाउन में इन दोनों का काम अन्य क्षेत्रों से बेहतर रहा है।

ऐसे में अब सरकार डेयरी किसानों को भी 4 फीसदी के ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का लोन देने का प्लान बना रही है। सरकार की कोशिश है कि डेयरी से जुड़े किसान किसी साहूकार की बजाय सरकार से सस्ते दरों पर कर्ज लेकर अपना काम आगे बढ़ाएं। इसलिए अगले दो माह में वो कम से कम 1.5 करोड़ डेयरी किसानों को किसान क्रेडिट देना चाहती है।

इसके लिए अभियान 31 जुलाई तक चलेगा। डेयरी सहकारिता अभियान के तहत, देश के लगभग 1.7 करोड़ किसान 230 मिल्क यूनियनों के साथ जुड़े हुए हैं। पहले डेयरी सेक्टर को केसीसी पर 2 लाख रुपये मिलते रहे हैं। लेकिन अब यह फैसला लिया गया है कि ये किसान अपनी केसीसी लोन की लिमिट को बढ़ा सकते हैं। ब्याज छूट 3 लाख रुपये तक ही मिलेगी।

मालूम हो कि बैंक 9 फीसदी पर कृषि कर्ज देते हैं जिसमें 2 फीसदी सरकार छूट देती है। अगर समय से पैसा अदा कर दिया जाए तो तीन फीसदी और छूट मिलती है। यह अच्छी बात है कि सरकार खेती के साथ-साथ अब डेयरी सेक्टर से जुड़े लोगों की जरूरतों को भी समझने लगी है। सस्ता लोन मिलने से इस सेक्टर में निवेश और रोजगार बढ़ेगा।

इस क्षेत्र से करीब 7 करोड़ लोगों की जीविका चलती है, जिनमें ज्यादातर भूमिहीन लोग हैं। प्रवासी मजदूरों को इस प्रकार की योजना से कमाने के घर में ही अच्छे अवसर मिल सकते हैं। पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने केसीसी बनाने के अभियान को मिशन के रूप में लागू करने के लिए वित्तीय सेवा विभाग के साथ मिलकर सभी स्टेट मिल्क यूनियन को पहले ही जानकारी दे दी है।

किसानों का हित हर हालत में देखा जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक दरोगा को सब्जी मण्डी में उत्पात करने पर जिस तरह से सजा दी है, उससे भी किसानों के महत्व को समझा जा सकता है। प्रयागराज जिले के घूरपुर थाने में तैनात एक दारोगा की करतूत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने का सीएम योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान लेते हुए।

उसे सस्पेंड करने के निर्देश दिए जिसके तुरंत बाद एसएसपी प्रयागराज ने दारोगा को सस्पेंड करते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने की भी संस्तुति कर दी है। बता दें कि दारोगा सुमित आनन्द द्वारा घूरपुर की साप्ताहिक सब्जी मंडी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होने पर सरकारी गाड़ी से किसानों की सब्जियों को रौंद दिया गया था।

सीएम योगी ने दारोगा को तत्काल सस्पेंड करने और पीड़ित किसानों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था। सीएम योगी के संज्ञान लेने के बाद एसएसपी प्रयागराज सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने बड़ी कार्रवाई करते हुए दारोगा को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ एसएसपी ने सीओ को मौके पर भेजकर किसानों को उनके नुकसान की भरपाई भी करायी है।

फिलहाल 11 किसानों को मौके पर जाकर सीओ ने क्षतिपूर्ति दे दी है। इसके साथ अन्य किसानों को चिन्हित किया जा रहा है, जिन्हें उनके नुकसान के मुताबिक मुआवजा दिया जायेगा। एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध ने बताया कि दारोगा के वेतन से किसानों को हुए नुकसान की रिकवरी भी की जाएगी। इसलिए अब किसानों को गांवों की तस्वीर बदलने का दायित्व निभाना होगा।

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