कोरोना मुक्त कैसे होगा शहर जब मरीज को लाए बिना जारी हो जाते हैं निगेटिव के सर्टिफिकेट

उच्चाधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं


के० एस० टी०,कानपुर नगर। प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो से बेहतर से बेहतर कितनी ही सेवाओं के दावे क्यों न सरकार कर ले किन्तु यहां की सेवाओं का असली लाभ मरीजों को नही स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात अधिकारियों व उनके अधिनस्थों को मिल रहा है। इन केन्द्रों में संविदा कर्मियों व संविदा में तैनात डॉक्टरों की आड़ में सारा खेल खेला जाता है।

ताकि अगर किसी तरह की गाज गिरे तो संविदा में तैनाती वालों पर ही गिरे। वह हटे भी थे तो उन्हें मुख्य चिकित्साधिकारी था अन्य कार्यालय से जोड़ दिया जाता हैं। इसी तरह का एक मामला पतारा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का ( कानपुर स्टार टाइम ) में प्रकाशित किया गया था। जिसमें यहां संविदा में तैनात फार्मेसिस्ट सचान ने पूर्व में मर चुके शास्त्री नगर निवासी 97 वार्षिक का दूसरे दिन अपने स्वास्थ्य केन्द्र में परीक्षा करके उनका सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया था।

जबकि उक्त व्यक्ति जब संसार मे नही है तो जाँच कराने वह स्वास्थ्य केन्द्र कहां से पहुंच गया था? जबकि उस परिवार का पतारा व उस तरफ से कोई दूर-दूर तक वास्ता ही नही है। जिसका स्ट्रिंग ऑप्रेशन न सिर्फ कानपुर स्टार टाइम ने किया था। बल्कि खबर प्रकाशित कर कमिश्नर जिलाधिकारी व शहर के मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से इस अनियमितता व भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत भी की थी।

ताकि एक हजार रुपये लेकर कोरोना मुक्त का सार्टिफिकेट ऐसे भ्रष्ट न जारी कर सकें किन्तु कुछ नही हुआ। जैसा फोन करके उक्त फॉर्मेसिस्ट ने अखबार के सम्पादक को कहा था कि कहीं भी शिकायत कर आओ हमारा कुछ बिगड़ने वाला नही है। ऐसी सूरत में जहां शहर में कोरोना से लगातार हो रही मौते रुकने का नाम नही ले रही है।

मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर मुख्यमंत्री कानपुर के प्रति गंभीर है। किन्तु वे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है कि संविदा में तैनात कर्मचारी पैसे के लिए किस-किस तरह की हरकतों पर उतारू है।

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