बेटियों को सुरक्षा देने के मामले में माया व अखिलेश से योगी सरकार तो दो हाथ आगे!

– सत्तापक्ष विधायक कुलदीप के बाद हाथरस ने तो दिल ही दहलाया

– अभी भी जारी है रेप

– दो सरकार को उखाड़ फेंकने वाले 2022 पर किस पर करेंगे भरोसा

– अभी भी कानून बदलने की जरूरत नहीं समझी सत्तापक्ष ने


या देवी सर्व भूतेष माहरुपेय संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः जिस स्त्री समाज को हमारी भारतीय संस्कृति में आदि शक्ति दुर्गा काली के रूप में पूजा अराधना की जाती हो। उसी भारतीय संस्कृति में ऐसे-ऐसे विकृति मानसिकता वाले लोगों ने महिला पशु चिकित्सक हाथरस की बेटी व उसके पूर्व हुए कानपुर की अबोध बेटी दिव्या जैसी न जाने कितनी बेटियों से दुराचार कर उनकी बलि चढ़ाकर हमारे कल्चर का ऐसा रंग रूप बदलकर विदेशों में पेश कर दागदार बना दिया है। जिसमें विदेशी मेहमान हमारी सरजमी पर कदम रखने से भी दहशत जदां रहने लगे हैं आज उन्हें सोचना पड़ रहा है कि भारत में कौन सी जमीन महिलाओं व बेटियों के लिए सुरक्षित है। उसके बावजूद हमारे देश की बेटियों की इज्जत तार-तार कर उनकी बलि चढ़ाने वालों का हौसला पश्त कर देने वाला कोई भी कानून नहीं बन सका है। सरकारो को सोचना होगा वही बेटी एक दिन मां बनकर वंश को आगे बढ़ाने का काम करने वाली थी। जिसकी बलि चढ़ा दी गई। पहले ही बेटियों के साथ भेदभाव के चलते देश में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या में बेहद गिरावट आ रही है। ऐसे में ऐसे कलुषित समाज में कौन बाप बेटी वाला बनने की हिम्मत जुटा सकेगा। सरकारों को रोकना होगा ऐसी विकृति सोच वालों को? कितना कठोर कानून बनाना है क्या बदलाव लाना है। सोचना होगा। आज भले ही हाथरस की बेटी के साथ सामूहिक रेप का खुलाशा न हुआ किन्तु उसके साथ जो दरिंदगी दिखाई गई वह इस संस्कृति में देश के कालातीत में गिनी जाएगी।


के० एस० टी०,कानपुर नगर। बहुजन समाजपार्टी की 2007 की सरकार हो 2012 की अखिलेश सरकार हो या 2017 की योगी सरकार हो जिसमें उत्तर प्रदेश में बेटियों के साथ दिल दहला देने वाली घटनाएं न हुई हो। अखिलेश सरकार में बनी महिला हेल्पलाइन हो भरोसे के नम्बर सभी की सेवाएं राम भरोसे हैं।

ऐसे में रेपिस्ट क्या इतना मौका देगा कि आराम से उसके जाल में फंसी बेटी फोन कर सके और पुलिस के आने के लिए घंटे-आधे घंटे इंतजार कर सके। किसी सरकार ने इस ओर गंभीरता से काम नहीं किया। इसमें कोई दूध का धुला नहीं है। योगी सरकार तो अन्य सरकारों से चार हाथ आगे निकली।

उसने अपने विधायक कुलदीप सिंह कम प्रयास नहीं किये किन्तु जब पानी सिर के ऊपर बहने लगा तो विधायक के हिमायती सत्ता दल के लोगों का मदद का तरीका बदल गया। आज हाथरस की बेटी के साथ हुए दिल दहला देने वाले कांड ने पुराने कालातीतो को दोहरा कर सरकार को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

आपको बताते चलें कि बीते माह की 14 सितम्बर को हाथरस के एक दलित समाज की 19 वर्षीय बेटी सुबह जानवरों के चारे के लिए निकली थी। बाद में उसका लहू लुहान शरीर जंगल में मिला था। सफदरगंज अस्पताल दिल्ली में जब 12 दिन बाद उसे जब होश आया तो उसने जो घटना बयां की।

वह दिल दहला देने वाली थी। गांव के ही संदीप, लवकुश, रामू, रवि ने न सिर्फ उसके साथ दरिंदगी से गैंगरेप किया बल्कि घर में पहुंचे जीभ काट कर रीढ़ की हड्डी तोड़ दी। अन्ततः वह इस बयान के बाद ज्यादा दिन तक जी नहीं सकी। और दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोड़ दी।

उत्तर प्रदेश पुलिस का चेहरा तो देखो पोस्टमार्टम कराने के बाद लाश घर वालों की सुपुर्दगी आधी रात खुद ही दाह संस्कार कर आई। इसी तरह कर दी की घटना ने दिल्ली की निर्भया कांड की याद ताजा कर दी है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में तो 2007 की बहुजन समाज पार्टी सरकार में.

कानपुर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र की मासूम अबोध दिव्या कांड समेत तमाम कांडो से 2012 में अखिलेश सरकार भी इस रेप कांडों की श्रंखला से अपने आप को नहीं बचा सकी और लोगों ने भाजपा पर 2017 का उम्मीद जताई किन्तु प्रदेश की योगी सरकार तो मायावती व अखिलेश सरकार से तो दो हाथ आगे निकली।

उसने तो गैंग रेप के आरोपी अपनी उन्नाव की विधान सभा बांगरमऊ के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को रेप से बचाने का अंतिम समय तक प्रयास किया किन्तु सी०बी०आई० जांच के सामने वह टूट ही गये। विधायक की हिम्मत तो देखो जेल के अंदर से ही उसने चश्मदीद गवाहों को ही.

एक एक्सीडेंट में मरवा दिया। इधर हाथरस कांड की लपटें व उसमें पुलिस की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। उसके बावजूद इन रेपों व गैंगरेप अथवा बेटी सुरक्षा में कोई ऐसा मजबूत कानून नहीं बना। जिससे ऐसी मानसिक विकृति चेहरों वाले दहशत में रहे।

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