पहली कतार की अभिनेत्रियों की सूची की सशक्त दावेदार भूमि पेडनेकर का मानना है कि इंसान की खूबसूरती उसके रंग में नहीं बल्कि उसके गुणों में होती है। वह हिंदी सिनेमा के जरिए फैलती रही खूबसूरती की परिभाषा भी बदलना चाहती हैं और कहती हैं कि अब वह ऐसी फिल्में ही करेंगी जिनमें हीरोइन का गोरा चिट्टा दिखना किरदार निभाने की पहली शर्त न हो।
निर्माता सुजॉय घोष की एक फिल्म को हाल ही में ना करने वाली भूमि पेडनेकर की जगह इस फिल्म में इन दिनों ‘मिल्क’ के नाम से मशहूर तमन्ना भाटिया का नाम चर्चा में है। इस बीच आहाना कुमरा भी अपनी एक सोशल पोस्ट को लेकर लोगों के निशाने पर हैं। इस सबके बीच भूमि ने रंग रूप को लेकर खूबसूरती के सदियों से चले आ रहे पैमाने को ही चुनौती दे दी है।
वह कहती हैं, “उत्तर भारतीय गोरी चिट्टी लड़की के दिन अब गुजर गए। मेरा मानना है कि रंग से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं हिंदी फिल्म की अभिनेत्रियों को लेकर समाज की परिभाषा बदलने जा रही हूं। हम सभी इस पेशे में हैं। मुझे ऐसी लीक से हटकर कहानी वाली फिल्मों का हिस्सा बनना है जो लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, बदलाव की वाहक हैं।
मेरे किरदार इसकी परवाह नहीं करते कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं और यही मैं करने जा रही हूं। भूमि ने फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ जैसी चर्चित फिल्म के साथ अपने करियर की शुरुआत की जिसमें वे पर्दे पर एक बहुत मोटी लड़की के रूप नजर आईं। फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ में वह अपने प्रेमी की लिंग शिथिलता की समस्या से जूझती दिखीं।
‘लस्ट स्टोरीज’ में अपने मालिक से छली गई घरेलू कामवाली का उनका रूप भी लोगों को खूब ङाया। इसके बाद भी फिल्म ‘सोनचिरैया’ से लेकर ‘बाला’, ‘सांड की आंख’ और ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ जैसी फिल्मों में भूमि के निभाए किरदारों पर लोगों की नजर बनी रही। भूमि कहती हैं, ‘मैं खूबसूरती का अपना खुद का पैमाना बनाने जा रही हूं।
मैं अपने सिनेमा के माध्यम से बदलाव लाना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि लोग खुद से प्यार करें। मैं चाहती हूं कि लोग इस बात को स्वीकार करें कि वे कौन हैं। मैं अपने दर्शकों का मनोरंजन करना चाहती हूं और यही मेरी पहली प्राथमिकता है। अपनी फिल्मों के माध्यम से मैं उन्हें एक सकारात्मक विचार देना चाहती हूं जो दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बना सके।