Skip to contentके० एस० टी०,कानपुर नगर। शारदा नगर निवासी अनुराग तिवारी ने पनकी की एक कंपनी में करीब सात घंटे लाइन में लगकर बीमार पिता के लिये ऑक्सीजन सिलेंड़र भरवाया। घर पहुंचकर सिलेंड़र चालू किया तो उसमें गैस ही नहीं थी। भागकर फिर कंपनी गये और शिकायत की तो अपमानित करके भगा दिया गया।
विकास नगर निवासी ड़ॉ० शैलेन्द्र अग्निहोत्री भी पनकी की एक कंपनी से बड़़ा ऑक्सीजन सिलेंड़र भरवाकर लाये। सोचा था कि बीमार पिता को बचाने के लिये 24 घंटे का इंतजाम हो गया‚ मगर सिलेंड़र ढ़ाई घंटे में ही खाली हो गया। ऑक्सीजन न मिलने से पिता की हालत काफी बिगड़ गयी। घंटों कवायद के बाद और काफी मान–मनौव्वल.
करके एक नर्सिंगहोम में उन्हें भर्ती करा सके‚ जहां हालत अभी भी गंभीर है। यह तो सिर्फ बानगी हैं। नगर में ऐसे सैकड़़ों लोग भटक रहे हैं जो ऑक्सीजन बेचने वालोें की बेईमानी के शिकार बन रहे हैं। कोई कंपनी के लोग सिलेंड़र आधा भरकर दे रहे हैं तो कोई कुछ कम–ज्यादा। अब तो पूरे पैसे लेकर बिना गैस भरे ही सिलेंड़र दे दिये जा रहे हैं।
आपदा में कमाई के अवसर तलाश रहे ऐसे संवेदनशून्य लोग अपनी जेब तो भर रहे हैं‚ मगर यह नहीं सोच रहे हैं कि उनके इस कृत्य से कितनी जानें जा रही हैं और जायेंगी। प्रशासनिक अधिकारी भी इस ओर से आंखें मूंदे हैं। उन्हें दवाओं और कोरोना मरीजों के उपचार से जुड़़ी अन्य वस्तुओं की कालाबाजारी व.
ओवर बिलिंग तो दिख रही है‚ मगर ऑक्सीजन गैस प्लांटों में हो रही अराजकता नजर नहीं आ रही है। लोग गैस प्लांटों में 10-10 घंटे लाइन लगाये रहते हैं फिर भी गैस नहीं मिल रही। दूसरी तरफ जुगाड़़ वाले लोग कुछ ही देर में सिलेंड़र भरवाकर ले जाते हैं।