इनकार नहीं किया जा सकता बड़े हादसे के बाद खूनी खेल से

◆ दो बड़ी ट्रैवल्स कम्पनियों की आपसी प्रतिस्पर्धा में एक ही नाम से चल रही है दर्जनों कम्पनियां

◆ बड़ा लंबा कारोबार है निजी बस जोनों में

◆ शहर के कई सफेद पोशो केसिंडीकेट के संरक्षण है नक्कालों को


के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। नामी-गिरामी चर्चित ट्रैवल्स एजेंसियों की टू कॉपी करके शासन-प्रशासन को भृमित कर टाटमिल से लेकर फजलगंज स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ा खेल-खेला जा रहा है। जिसमें झकरकटी पुल से अफीम कोठी तक के दोनों छोरों की सड़कों पर अतिक्रमण कर प्रतिस्पर्धा में ऑफिस चल रहे हैं।

जिसमें अक्सर टाटमिल से अफीम कोठी तक वर्चस्व को लेकर झगड़े होते रहते हैं चूंकि खाकी को अच्छी रकम मिलती है लिहाजा वह इस मामलों की अनदेखी करते रहते हैं। इसी तरह की लग्जरी बस से कानपुर में इतनी बड़ी वारदात हो गई। उसके बाद आर०टी०ओ० ट्रैफिक विभाग कुछ समय के लिए सक्रिय रहा उसके बाद फिर सब समान्य हो गया।

निजी बस जोन बने इस थाना क्षेत्र में जिस तरह से अवैध काम कर रहे लोगों को शहर के विभिन्न सिंडीकेट सफेद पोशों का समर्थन प्राप्त है। उससे इस जोन में कभी भी वर्चस्व के लिए बड़ा खूनी खेल हो सकता है। जिसमें स्थानीय पुलिस, रोडवेज विभाग को नजरदांज नहीं किया जा सकता। आपको बताते चलें कि टूरिस्ट बसों से दूरदराज की सवारियों को ले जाने का था

तारतय्य एक-डेढ़ दशक से अधिक समय से फजलगंज से परवान चढ़ा। जिसमें पहले सिर्फ शताब्दी का सारा खेल था। उसके बाद शताब्दी में दो फाड़ हो गये। एक समय शताब्दी का भी ऑफिस व डिपो फजलगंज इंडिस्ट्रियल एरिया समेत तमाम हिस्सों में खुल गये। यहीं से दोनों मालिकों की आपसी प्रतिस्पर्धा में इन्हीं का नाम लेकर आगे-पीछे छोटे-छोटे दो नाम जोड़कर कुछ लोगों ने झकरकटी,

 

टाटमिल से अफीमकोठी तक दो-चार बसे जोड़कर शताब्दी के नाम से ऑफिस डालें जिसमें आगे कुछ और नाम जोड़कर छोटा सा उपनाम दे दिया। जबकि संभागीय परिवहन कार्यालय में कितने टूरिस्ट बसों के नाम रजिस्टर्ड हैं। वह दर्जन भर भी नहीं है। फिर इतने ऑफिस विजय नगर, रामादेवी, अफीमकोटी, टाटमिल, जाजमऊ में आ कहां से गये। जिसकी जवाबदेही आर०टी०ओ० की है। फिर भी इतने बड़े हादसे के बाद वह चुप्पी क्यों साधे है। शेष पढ़े अगले अंक में….

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