प्रकाशान के नाम पर भी काकादेव में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़

घटिया स्तर की कापी, किताबे ऊँचीदुकान में फिके व कवान की तरह

पचास प्रतिशत कमिशन तक दे रहे है स्कूल संचालकों को

वंश ट्रेडिंग को० का कारोबार तो लम्बे स्तर पर

के. एस. टी, कानपुर संवाददाता। आई० सी० एस० सी०, सी० बी० एस० ई० बोर्ड के स्कूलों के खुलने का भले ही समय निर्धारित हो न हो किन्तु जुलाई में स्कूल खुलने की आस में बुक विक्रेता स्कूलों के चक्कर काटने लगे हैं। ताकि इस सूत्र में उन्हें ज्यादा से ज्यादा स्कूलों की कापी किताबे व ड्रेस तक बेचने के आर्डर मिल जाये।

इसके लिए वे स्कूल प्रबंधक को खरीददारी में प्रति बच्चे के रूप में 50 से 55 फीसदी कमीशन देने को तैयार हो जाता है। सूत्र बताते है कि इसी तरह का एक चर्चित बुक सेलर्स वंश ट्रेडिंग को० स्थित कुम्हारों वाली गली मे है। जिसमें आसपास के स्कूलों समेत दूर दराज के स्कूलों की कॉपी, किताबों के साथ टाई, बेल्ट, मोजे, जूते सब मौजूद हैं।

चौकाने वाली बात यह है कि जब कॉपी, किताबो में यह स्कूल प्रबंधन को पचास से पचपन फीसदी कमीशन दे देंगे तो 45 या 50 फीसदी में यह अपने माल का पैसा व अपना फायदा कैसे निकलेंगे। यही हाल टाई, बेल्ट, जूता मोजा में भी है। जिसमे भी अच्छा कमीशन स्कूल प्रबंधन मार ले जाते है।

ऐसी सूरत में यह तो तय है कि किताबों निश्चित तौर पर घटिया प्रकाशन की होगी। यही हाल कॉपियों मे भी नम्बर दो के कागज पर तैयार हुई होगी। ऐसी सूरत में ऊंची-दुकान मीठा पकवान वाली कहावत की तरह स्कूलों की शिक्षा पर कितना प्रभाव होगा। इस विषय में कोई जानता नहीं।

ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है यह पहले से ही हो रहा है। चूंकि सी० बी० एस० आई० व आई० सी० एस० सी० के स्कूल शहर में गली-गली में खुल चुके हैं। जिसमें प्रकाशन वाली कॉपी-किताबों वालों की भी बाढ़ आ गई है। जिसमें चर्चित प्रकाशनों की किताबों में बड़ी धांधली है ऐसी सूरत में इसका पूरा-पूरा फायदा उस समय अवकाशीय छुट्टियों में स्कूल प्रबंधक उठाता है।

जब एक से एक सेलर्स उनके पास यह प्रार्थना लेकर खड़े होते ही कि इस बार उनसे कॉपी, किताबे क्रय करें। इसी प्रतिस्पर्धा में स्कूल प्रबंधन इन से कमीशन बाजी सेट कर लेते हैं। इस दौरान जिसने ज्यादा कमीशन की बात कही वह उन्हें आर्डर दे देते है। उसके बाद यह प्रकाशनो के एजेंट स्कूल के चिंहित बुक स्टालों में यह कॉपी, किताबें रखवा देते है।

जहां पर पेन, पेसिल, सारे बक्सों सहित टाई, बेल्ट, मोजे, जुते के साथ ड्रेसे भी उपलब्ध रहती है। जिसमें वंश ट्रेडिंग को० बुक सेलर्स को कमीशन देने के बावजूद अच्छा मुनाफा हो जाता है। पूरे साल का वह इसी प्रवेश सत्र में निकाल लेता हैं।

यही हाल काकादेव स्थित कुम्हारों वाली गली में वंश ट्रेडिंग को० एक सभी प्रकाशनो का दावा करने वाले गुपचुप प्रकाशन चलाने वाले बुक सेलर्स के यहां तो धांधली ही धांधली है। आश्चर्य जनक बात यह है कि इसके पास शहर व आस-पास के चर्चित स्कूलों की कॉपी, किताबों के साथ तमाम ठेके है।

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