कुंभकरण वध से लंका में राक्षसों में हाहाकार

के० एस० टी०,कानपुर नगर। श्री रामलीला सोसाइटी परेड द्वारा मेस्टन रोड स्थित श्री रामलीला भवन में शुक्रवार को विभीषण शरणागत, सेतु बंध रामेश्वर स्थापना, लक्ष्मण शक्ति व कुंभकरण वध की लीला का मंचन किया गया। लीला का परेड मैदान में लाइव प्रसारण किया गया । कुंभकरण वध हुआ तो राक्षसों में हाहाकार मच गया। रावण ने मान लिया कि अब उसका अंत निश्चित है।

लंका नरेश रावण को विभीषण ने समझाया कि वह भगवान श्रीराम से संधि कर लें और जानकी जी को उन्हें सौंप दें, लेकिन रावण ने विभीषण को मना कर दिया। क्रोधित रावण ने विभीषण को पैरों की ठोकर मारकर लंका से बाहर कर दिया। विभीषण जी भगवान राम की शरण में आ पहुंचे। प्रभु ने उन्हें गले लगाया और उनसे समुद्र पार करने का उपाय पूछा।

विभीषण ने कहा कि सागर पर सेतु का निर्माण कर लंका तक पहुंचा जा सकता है। भगवान श्रीराम ने समुद्र से रास्ता देने की प्रार्थना की, लेकिन समुद्र प्रकट नहीं हुआ। नाराज प्रभु श्रीराम क्रोधित हो उठे और उन्होंने समुद्र को सुखाने का निश्चय कर धनुष पर वाण चढ़ा लिया। प्रभु का क्रोध देख सागर प्रकट हुआ और क्षमा याचना करते हुए.

उन्हें सेतु बनाने का उपाय बताया। प्रभु ने रावण को सेतुबंध रामेश्वर की स्थापना के लिए पूजन कराने के लिए निमंत्रण भेजा। लंकेश वहां सीता सहित आया और उसने पूजन कराया। प्रभु ने अंगद को लंका में शांति दूत बनाकर भेजा। अहंकारी रावण ने कहा कि वह वह राम से संधि नहीं बल्कि युद्ध करेगा। अंगद ने रावण के दरबार में अपना पैर जमा दिया और कहा कि.

यदि कोई उनका पैर खिसका देगा तो प्रभु श्रीराम बिना युद्ध किए ही सेना सहित वापस लौट जाएंगे। जब दरबार में मौजूद योद्धा पैर नहीं हटा सके तो लंकेश खुद ही उठा और अंगद के पैरों की ओर बढ़ा पर अंगद ने उसे रोक दिया। कहा कि हे रावण मेरा पैर छूने की जगह प्रभु श्रीराम के श्रीराम चरण पकड़ लो तो तुम्हारा कल्याण होगा। अंगद चले गए और फिर युद्ध शुरू हुआ।

मेघनाद ने शक्ति बाण छोड़ा जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो गए। इससे प्रभु श्रीराम की सेना में हाहाकार मच गया। हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए तो उनकी वे ठीक हुए फिर युद्ध हुआ तो प्रभु राम ने कुंभकरण का वध कर दिया। इससे लंका में राक्षसों में हाहाकार मच गया। धू-धूकर जली सोने की लंका शास्त्री नगर स्थित छोटा सेंट्रल पार्क में शुक्रवार को लंका दहन,

बालि वध लीलाओं का मंचन किया गया। अशोक वाटिका को बर्बाद करने के बाद बंदी पवनसुत हनुमान को रावण के दरबार में लाया गया। रावण ने उन्हें मारने के लिए कहा तो विभीषण ने रोक दिया और प्रभु श्रीराम से मित्रता की सलाह दी, लेकिन रावण नहीं माना। उसने हनुमान जी की पूछ में आग लगवा दिया।

हनुमान जी ने उछल कूद करते हुए रावण की लंबा को जला दिया। रावण की लंका जली तो राक्षसों में खलबली मच गई। चंद्रिका देवी स्थित रायपुरवा मैदान में विभीषण शरणागत, अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण मूर्छित व कुंभकरण वध लीलाओं का मंचन किया गया। रावतपुर स्थित रामलला मंदिर में प्रभु श्रीराम का.

जन्मोत्सव व सीता स्वयंबर लीला का मंचन किया गया। शास्त्री नगर बड़ा सेंट्रल पार्क में लंका दहन, विभीषण शरणागत, सेतुबंध रामेश्वर स्थापना लीला का मनोहारी मंचन किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *