ऊंची रसूख वाले बाबू के सामने उप श्रमायुक्त का आदेश बौना

होली के तीन दिन पूर्व बाबू विनोद कुमार सिंह को दिये गये थे सरेंडर के आदेश

शासनादेश को ठेंगा दिखा कब्जाये हुए हैं बंगला नम्बर वन

जबकि कई अधिकारी जरूरतमंद थे इस बंगले के लिए

हास्याप्रद फिर भी बाबू को एलाट कर दिया गया बंगला

विनोद कुमार सिंह के बंगले से चंद कदम दूर ही है उनका पैतृक आवास


के० एस० टी०,कानपुर नगर। वर्तमान श्रमायुक्त महोदय मुस्तफा का एक समय इसी शहर में डंका बजता था। उनका नाम सुनते ही छोटे-बड़े भू-माफिया कांप उठा करते थे किन्तु आज उन्ही के कार्यकाल में उन्ही के अधीन अफसर के आदेश की धज्जियां मामूली कलर्क उठाकर उसी सीट पर आसानी है। जिस सीट से उसे सरेंडर करने के आदेश तकरीबन एक माह पूर्व किये जा चुके हैं।

इतना ही नहीं रायपुरवा स्थित श्रमहितकारी केन्द्र टी०वी० क्लीनिक के बंगला नम्बर एक स्थित शासनादेश के विपरीत कब्जे के साथ उसके खिलाफ पूर्व की तमाम शिकायतें हैं। जिसके बावजूद वह उसी बंगले व सीट पर आज भी का बीज है। आपको बताते चलें कि अपर श्रमायुक्त कार्यालय जी० टी० रोड़ कानपुर में पूर्व नाजिर व वर्तमान में आई०आर० रिट में प्रधान सहायक.

विनोद कुमार सिंह लगातार 17 वर्षों तक ऊँची रसूक के बल पर नाजिर के पद पर तैनात रहा था। हालांकि 2004-2005 में तत्कालीन समय में श्रमायुक्त के पद यहां तैनात रही अनीता भटनागर जैन ने भ्रष्टाचार की शिकायतों के चलते इसे पद से हटा दिया था किन्तु उनके जाने के बाद से लगातार इसका प्रभाव बढ़ता ही चला गया। जिस प्रभाव का इस्तेमाल.

कर इसने खूब कमाया बल्कि आचार्य नगर में पैतृक आवास होने के बावजूद वही चंद कदमों पर स्थित रायपुरवा में श्रम हित कारी केन्द्र टी० वी० क्लीनिक में बंगला नम्बर एक अपने नाम पर एलाट करा लिया। जबकि इस बंगले के लिए सहायक श्रमायुक्त नदीम खान समेत तमाम प्रत्यावेदन थे। जिनके पास वाकई में निवास की तकलीफ थी किन्तु ऊंची रसूख वाले.

मामूली कलर्क विनोद कुमार सिंह के सामने उच्च अधिकारियों की भी नहीं चल सकी और बंगला इसे ही एलाट कर दिया गया। जबकि नियमानुसार शहर में अगर किसी के पास निजी आवास है तो वह दूसरे सरकारी क्वार्टर का हकदार नहीं माना जाता। इतना ही नहीं उसकी हनक देखिए होली के तीन दिन पूर्व उप श्रमायुक्त आर०पी० गुप्ता ने आई० आर० रिट में.

प्रधान सहायक विनोद कुमार सिंह के खिलाफ शिकायतों को देखते हुए उन्हें उस पद से भी सरेंडर करने के आदेश भी दे दिये किन्तु वह आज भी इसी सीट पर काबिज है। विभागीय लोगों के मुताबिक उसके हौसले इतने बुलंद हैं कि उसने बंगले का कायाकल्प भी बदलना शुरू करवा दिया है।

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