के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता।भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) कोरोना संक्रमण के बीच अब दिव्यांगों के खराब या किसी तरह की तकनीकी दिक्कतों से गड़बड़ाए उपकरण घर बैठे ही ठीक करेगा। डिवाइस और उपकरण गारंटी की अवधि में हैं तो उन्हें निश्शुल्क सुधारा जाएगा। सर्विसिंग की सुविधा भी रहेगी। यह व्यवस्था 10 जुलाई से सबसे पहले मध्यप्रदेश के उज्जैन से शुरू हो रही है।
संस्थान इसके लिए 18 लाख की कीमत का एक वाहन खरीद चुका है, जबकि पांच और मोबाइल वाहन खरीदने जा रहा है। इन वाहनों को उपकरणों से लैस किया जाएगा। इनसे ही दिव्यांगों के घरों तक पहुंच इंजीनियर ट्राईसाइकिल की बैट्री की टेस्टिंग से लेकर कान की मशीन, सेंसर युक्त छड़ी और कृत्रिम अंगों में आ रही दिक्कतों को दुरुस्त करेंगे। एलिम्को की ओर से जन्म से दिव्यांगों,
सड़क या अन्य किसी तरह के हादसों में शरीर के अंग गंवा चुके लोगों के लिए कृत्रिम अंग, व्हील चेयर, ट्राईसाइकिल, मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल, कान की मशीन, सेंसर युक्त छड़ी, स्टूल में परिवर्तित होने वाली बैसाखी, मोबाइल समेत अन्य उपकरण दिए जाते हैं। इन्हें कानपुर के मुख्य कार्यालय के अलावा उज्जैन, भुवनेश्वर, जबलपुर, फरीदाबाद, बेंगलुरु, मोहाली के प्रोडक्शन यूनिट में तैयार किया जाता है।
यह उपकरण सरकार और अन्य संस्थाओं के सहयोग से दिव्यांगों को मिलते हैं। इसके लिए संस्थान देश के अलग-अलग शहरों में कैंप आयोजित करता है। पिछले वर्ष और मौजूदा साल में कोरोना संक्रमण के कारण जहां कैंप का आयोजन सही तरह से नहीं हो पा रहा है, वहीं उपकरणों में आई तकनीकी गड़बड़ी को ठीक करने में भी मुश्किलें हो रहीं हैं। इसीलिए एलिम्को के अधिकारियों ने उनके शहरों में ही मोबाइल वाहन भेजने के व्यवस्था की है।
शहर में दो दिन रहेगा मोबाइल वाहन एलिम्को का मोबाइल वाहन और इंजीनियर किसी भी शहर में दो दिन तक रहेंगे। इसकी जानकारी जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय के माध्यम से वहां के दिव्यांगों को दी जाएगी। हेल्पलाइन और मोबाइल नंबर भी जारी किए जाएंगे, जिससे लोगों को अधिक से अधिक सहूलियत मिल सके।
बड़े कैंप वाले शहरों में पहले इंतजाम एलिम्को की ओर से पिछले कुछ वर्षों में जिन शहरों में बड़े कैंप लगाए गए हैं, वहां पहले मोबाइल वाहनों को भेजा जाएगा। इससे वहां बड़ी संख्या में लाभार्थियों के उपकरण और कृत्रिम अंग ठीक किए जा सकेंगे।
◆मोबाइल वाहनों की मदद से दिव्यांग, उनके घरवालों को संस्थान और उनकी अन्य यूनिटों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उनकी समस्याओं को मौके पर ही दूर किया जाएगा। 10 जुलाई से सुविधा उज्जैन से शुरू होगी। केंद्रीय सहकारिता मंत्री इसे हरी झंडी दिखा सकते हैं।