महिलाओं से अपराध के मामले में कानपुर दूसरे नम्बर पर

एनसीआरबी ने जारी की अपराध रिपोर्ट

लखनऊ पहले और गाजियाबाद तीसरे नम्बर पर


के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में कानपुर टॉफ थ्री शहरों की सूची में शामिल है। इस मामलों में कानपुर का यूपी में दूसरा नम्बर है‚ जबकि पहला नम्बर लखनऊ और तीसरा नम्बर गाजियाबाद का है। यह खुलासा एनसीआरबी की जारी क्राइम रिपोर्ट 2020 में हुआ है। हालांकि बीते दो सालों से कानपुर में महिला सम्बंधी अपराध के मामलों में कमी आयी है।

नेशनल क्राइम रिकार्ड़ ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की रिपोर्ट में जो आंकड़े़ सामने आये हैं‚ वह महिला सम्बंधी अपराधों के प्रति कुछ राहत देने वाले हैं। हालांकि घरेलू हिंसा के मामलों में कोई खास कमी नहीं आयी है। एनसीआरबी की क्राइम इन इंडि़या 2020 रिपोर्ट में 19 शहरों में क्राइम के आंकड़़े भी जारी किये गये हैं। इसमें यूपी के तीन शहर लखनऊ‚ कानपुर और गाजियाबाद भी शामिल हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 से 2020 तक महिला सम्बंधी अपराध के तहत दर्ज होने वाले मामलों में 33 फीसद की कमी आयी है। रिपोर्ट के अनुसार रेप के मामले 2020 में 42 दर्ज हुए हैं‚ वहीं गैंगरेप और रेप के बाद हत्या का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। पॉक्सो एक्ट के 120 मामले दर्ज किये गयेे‚ जिसमें 50 मामले बच्चों के साथ दुष्कर्म के हैं। इसके अलावा पति या किसी सम्बंधी द्वारा प्रताड़ित किये जाने के मामले 547‚

दहेज हत्या के 30‚ अपहरण के 161 ( जिसमें 18 साल से ज्यादा उम्र वाले केस 130 और उससे कम उम्र के केस 31)‚ दुष्कर्म के 42‚ छेड़़छाड़़ या लज्जाभंग करने के मामले 146 दर्ज हुए हैं। रिकार्ड़ के अनुसार जो तीन साल का महिला सम्बंधी अपराध रजिस्टर्ड़ किये गये हैं‚ उनमें 2018 में 1574 मामले‚ वर्ष 2019 में 1315 मामले और 2020 में 1056 मामले दर्ज किये गये हैं। वहीं‚ रिपोर्ट के अनुसार पुलिस और कोर्ट में महिला सम्बंधी अपराध के मामलों की स्थिति यह है कि.

पुलिस के पास 840 मामले लम्बित पड़े़ हैं‚ 237 ऐसे मामले हैं जो सही हैं‚ लेकिन साIय की कमी है। वहीं‚ 1113 मामलों में चार्जशीट लगायी गयी है। वहीं‚ कोर्ट में 1133 मामले वर्ष 2020 में ट्रायल पर गये हैं व 3783 मामले लम्बित पड़े़ हैं। इस सम्बंध में पुलिस कमिश्नर का कहना है कि महिलाओं के प्रति अपराधों को लेकर लगातार गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ काम किया जा रहा है। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से इस पर और भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।

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