के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। हम आप अभी तक यही सुनने आ रहे थे कि मधुमेह की वजह से किडनी, हार्ट, हाथ-पैर और आंखों पर असर पड़ता था। अब मधुमेह की वजह से जायका भी बिगड़ रहा है। लंबे समय से मधुमेह से पीडि़त व्यक्तियों की जुबान मीठे और नमकीन का अहसास ही नहीं कर पाती है। ऐसे मधुमेह पीडि़त जब समस्या लेकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग पहुंचने लगे तो विशेषज्ञ ने इस पर छह माह पहले ही रिसर्च शुरू किया है, जो अभी चल रहा है। इसमें 300 मरीजों पर अध्ययन किया जाएगा, ताकि वजह का पता चल सके। मरीजों के टेस्ट बड यानि स्वाद का अहसास कराने वाली ग्रंथियां डैमेज हो रही हैं।
केश-1-: स्वरूप नगर निवासी 63 वर्षीय बुजुर्ग लंबे समय से मधुमेह (डायबिटीज) से पीडि़त हैं। लगभग एक वर्ष पहले से उन्हें खाने का टेस्ट मिलना बंद हो गया। अच्छी से अच्छी चीज खाने पर भी बेस्वाद लगने लगी। ऐसे में स्वजनों को कोरोना का अंदेशा हुआ। डाक्टर को दिखाया और कोरोना की जांच कराई। न ही कोई कोरोना का लक्षण था और न ही रिपोर्ट पाजिटिव आई। ऐसे में स्वजनों ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में संपर्क किया। जहां जांच में अनियंत्रित मधुमेह निकली, जिससे उन्हें दिक्कत हो रही थी।
केश-2-: शांति नगर निवासी 58 वर्षीय बैंककर्मी 13 वर्ष पूर्व मधुमेह की चपेट में आ गए थे। उसके बाद से नियमित इलाज चल रहा है। आठ माह से उन्हें भी खट्टा, मीठा और नमकीन के टेस्ट एहसास नहीं हो रहा था। हालांकि उन्हें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे, फिर भी जांच कराई। उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। उसके बाद कई डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई कुछ बता नहीं सका। हार कर मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग में दिखाने पहुंचे। जहां जांच में पता चला कि मधुमेह की वजह से समस्या हो रही है।
अब तक 63 पीडि़तों पर रिसर्च-: मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. जेएस कुशवाहा रिसर्च के चीफ गाइड हैं। उनकी यूनिट की जूनियर रेजीडेंट डा. अर्चना सह गाइड हैं। अभी तक 63 व्यक्तियों को लिया जा चुका है। उन सभी के ब्लड शुगर के स्तर की लगातार मानीटरिंग की जा रही है। उनके बीते तीन माह के शुगर की स्थिति का पता लगाने के लिए एचबीए1सी जांच कराई गई। उन सभी में एचबीए1सी की स्तर 9 से 11 के बीच पाया गया। इसके अलावा नसों से संबंधित जांच भी कराई गईं हैं। उनके सभी पैरामीटर की जांच कराई गई है, ताकि उनकी मूल समस्या का पता चल सके।
अभी कम होती थी यह समस्याएं-: लंबे समय तक मधुमेह की वजह से छोटी नसें डैमेज होने लगती हैं। उनका रक्त संचार प्रभावित होने लगता है। इस वजह से आंख की रेटिना की छोटी नसें प्रभावित होने से रेटिनोपैथी होती है। इसी तरह किडनी यानी गुर्दा की छोटी और महीन नसें डैमेज होने से नेफ्ररोपैथी की समस्या होती है। इसी तरह पैरों व तलवे की छोटी व महीन नसें क्षतिग्रस्त होने पर न्यूरोपैथी होती है। अभी तक मरीजों में ऐसी ही समस्याएं देखने को मिलती थीं।
अब हो रही आटो नोमिक न्यूरोपैथी-: अब इस रिसर्च के दौरान सामने आया है कि मधुमेह की वजह से हमारी जीभ के टेस्ट बड यानी उनके अंदर की छोटी-छोटी नसें, जिन्हें माइक्रो एंजियो वेन्स कहते हैं। यह मधुमेह की वजह से आटो नोमिक न्यूरोपैथी की समस्या हो रही है। इस वजह से जीभ के टेस्ट बड जो स्वाद का अहसास कराते हैं, डैमेज हो रहे हैं। इनके डैमेज होने से पीडि़त को नमकीन और मीठे का अहसास नहीं होता है। इस वजह से ही कई बार मीठा कम लगता है तो नमक ज्यादा लगने लगता है।
यह समस्या भी-:
– दिल की गति भी बढ़ी रहती है।
– बीपी खड़े होने पर कम होना।
– हल्के चक्कर भी आते रहते हैं।
– खाना खाने पर खाना छाती में भरे होने का अहसास।
– खाना खाने के दौरान पसीना भी आने लगता है।