चोरी की गाड़ियां कटने में अव्वल तो नहीं फजलगंज का गड़रियनपुरवा!

रिहायशी इलाकों में गूंजती है आवाजे

शिकायत कर कौन बुलाया आफत

बी०ओ०बी० चौराहे से गड़रियनपुरवा वाले मार्ग पर बड़ा खेल


के० एस० टी०,कानपुर नगर संवाददाता। कानपुर के फजलगंज थाना क्षेत्र की पुलिस के लिए यूं तो हर कोना सोने की मुर्गी देने वाला अंडा है किन्तु मोटर मार्केट गड़रियनपुरवा ठंड बढ़ते ही सोने में सुहागा साबित हो रही है। इलाकाई रिहायशी लोगो की नाम न छापने की सूरत में बताने वाली विश्वसनीय बातों पर भरोसा करें तो गड़रियनपुरवा में रिहायशी बस्तियों से लेकर यूं तो चोरी की बड़ी-बड़ी गाड़ियां कुछ ही घंटों में भैसे,

ठेले या छोटा हाथी में भरकर कबाड़ियों के गोदामों में पहुंच जाती है किन्तु सांझ ढलने के बाद सबसे सुरमित स्थान बैंक ऑफ बड़ौदा से गड़रियनपुरवा जाने वाली साइड में अंदर खाई नुमा सकरी गलियों से गोदामों तक पहुंचाई जाती है। जहां आधी रात तक विशेषज्ञ कारीगर एक-एक पार्ट्स बड़े सुरकित ढंग से काट कर निकाल लेते है। चेचिस नम्बर वाले हिस्सों की इस तरह से घिसाई कर समतलीकरण कर देते हैं कि पता ही नही चलता।

यह कार्य इतने बड़े स्तर पर हो रहा है कि इस कटर गिरोह के गली में घुसते ही अनजान आदमी के इस गली में घुसने तक की दूर से ही खबर मिल जाती है। इसके लिए गली के शुरुआत में ही पेड़ो या दीवार पर कैमरे लगे हैं। कंट्रोल रूम किसी गोदाम में लगा है। हालांकि रात्रि में कटिंग की आवाज रिहायशी बस्तियों में गूंजती रहती है। गली के अन्दर के गोदाम इतने सूने स्थान पर है कि दो-चार लोगों के साथ भी.

अन्दर जाने की हिम्मत भी बड़ा-बड़ा दिलेर भी नही दिखा सकता है। लिहाजा बस्ती वाले आवाजों में सांस थामने के सिवा और कोई हल नहीं ढूंढ पा रहे हैं क्योंकि ये लोग बहुत ही खूंखार बताये जाते हैं। ये ऐसे-ऐसे आदमी पाले है कि जरूरत पड़ने पर इनके लिए जान दे भी सकते हैं और ले भी सकते हैं। बताया जाता है कि बी०ओ०बी० चौराहे से गड़रियन पुरवा आने वाली साइड में चर्चित गहरी गलियों के.

बाद पड़ने वाले मैदानों में चोरी करके आये ट्रकों को खड़े देखे जा सकते हैं। नम्बर प्लेट व चेचिस बदलने में माहिर यहां आने से पहले ही अपना कार्य कर चुके होते हैं। मिस्त्री गीरी का कार्य होने से यह आसानी से मालूम कर लेते हैं कि कौन से ट्रक या गाड़ी की मरम्मत में तीन-चार दिन लगेंगे या कोई बाहर बनकर हाल में गई गाड़ी की नम्बर प्लेट बनवा कर चोरी की गाड़ियों में प्लेट लगवा दी गई अब पड़ताल करते रह जाओ कि.

कौन सी गाड़ी चोरी की है। तब तक आर०टी०ओ० के शातिर दलालों से जहां अगर जरूरत पड़ी तो कटने के नकली कागज भी आनन-फानन में आ गये। ऐसे में पुलिस या टीम कैसे पता लगाएगी यह चोरी की गाड़िया है। ऐसी सूरत में जो पहले पकड़े जा चुके होते हैं पुलिस उन पर ही पूछताछ केन्द्रित रहती है किन्तु तब तक दर्जनों नये विशेषज्ञ कारीगर यह मार्केट और तैयार कर चुके होते हैं।

ऐसी सूरत में शातिर वर्दीधारी इनकी दोस्ती में ही अपना भला समझते हैं। रात्रि कालीन कटिंग में भी पुलिस इतनी बड़े गड़रियनपुरवा के गोदाम में कान लगाएगी। इधर एलर्टतो उधर गाड़ी कटकर लद कर कबाड़ियों के गोदामो में चली गई। कौन-कौन से कबाड़ी चोरी की बड़ी गाड़ियों के पार्ट्स खरीद रहे हैं। पुराने तेज तर्रार वर्दीधारियों को सब मालूम होता है या फिर फजलगंज थाने की पुलिस के मुखबिर जानते हैं.

किन्तु तबादले के बाद वह कटिंग के बाद कटर व मुखबिर आपस में नये स्टाफ को न बताने का समझौता कर लेते हैं। फिर बाद में यही पुलिस के खास सेटिंग भी करवाते हैं। शेष अगले अंक में….

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