बालू खनन के पट्टे दारों में कहीं महिला तो नहीं!

  मोती कंस्ट्रक्शन है किसकी वारिस कहां?

  पांच साल के पट्टे में कितने की स्टाम्प ड्यूटी

  क्या सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे हैं मानक के अनुरूप

के. एस. टी,कानपुर संवाददाता।  पिकनिक स्पॉट गंगा बैराज से कुछ ही दूरी पर लुधवा खेड़ा व शंकरपुर कटरी में बालू के अवैध खनन में तरह-तरह की अनियमितताए व्याप्त है। जिन्हें हम बारी-बारी से आपको अवगत कराते रहेंगे कि पट्टा कितने का था क्या

मानक होने चाहिए किन्तु बालू कितनी गहराई तक खोद डाली गई अब सबसे पहला सवाल यह है कि यह पट्टा किसके नाम था। खुदाई कौन करा रहा है। कहीं यह पट्टा धारक महिला तो नहीं थी? इस पट्टे में महिला की संलिप्तता कहां तक थी? उसका उल्लेख दस्तावेजों में कहां से है?

आपको बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट के नियमावली के मुताबिक जुलाई, अगस्त, सितम्बर में खनन का कार्य खदानों से बंद होता है। लिहाजा खनन बंद होने पर कुछ ही दिन बचे हैं किन्तु वर्तमान समय में कटरी में एक ही बात की चर्चा है कि पट्टा मोती कंट्रक्शन के नाम से है तो क्या यह कंस्ट्रक्शन कम्पनी किसी महिला के नाम तो नहीं है?

कहीं उसका नाम मोती बाई तो नहीं था? दूसरे पाटनर तो दिखते हैं। किन्तु महिला के कारोबार का वारिश कौन है? वह यहां क्यों नही आती? इस कंस्ट्रक्शन कम्पनी का कितना वर्षों का करार था? 5 वर्षों के अनुबंध में कितने की स्टाम्प ड्यूटी थी? कितनी अदा हो चुकी हैं?

वाहनों की निगरानी के लिए क्या सी.सी.टी.वी. कैमरे लगने थे। उसकी दिशा व दिशा क्या होनी चाहिए थी? क्या वह उस स्थित में है? चेक पोस्ट गेट का निर्माण हुआ क्या पट्टेदार ने चेक पोस्ट गेट आर.एफ.आई.डी. स्कैनर रखा।

सी.सी.टी.वी. व आर.एफ.आई.डी. स्कैनर द्वारा की गई रिकॉर्डिंग कितने दिन सुरक्षित रहनी चाहिए? क्या इस माह की रिकॉर्डिंग है। उससे ज्यादा तो नहीं हुआ खनन। जानने के लिए हर सप्ताह पढ़िये कानपुर स्टार टाइम के खुलाशे पर खुलाशे:-

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