28 लाख रुपये की लागत से नाले व नाली के निर्माण में धांधली-ही धांधली

◆  टीलेश्वर मंदिर से गल्ले मंडी वाली ढही नाली-नाला छोड़ा गया

  निर्माण में घटिया सामग्री का आरोपी

  ठेकेदार जूनियर इंजीनियर की सांठगांठ से सारा खेल

के. एस. टी,कानपुर संवाददाता। “अंधेर नगरी चौपट राजा” वाली कहावत नगर निगम के चरितार्थ हो रही है। इसी तरह जोन 6 के अन्तर्गत हो रहे नाला निर्माण में मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिसमे रसूखदार ठेकेदार जूनियर इंजीनियर समेत सम्बधित अधिकारियों से मिलकर बस घटिया सामग्री लगा कर खानापूर्ति कर रहा है।

जिससे इलाकाई लोगों में आक्रोश व्याप्त है। कुछ ने प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर घटिया निर्माण की शिकायत नगर निगम के सम्बधित अधिकारी से की किन्तु मिलीभगत के चलते शिकायती पत्र दबा दिया गया। आपको बताते चलें कि शास्त्री नगर स्थित संजय टेन्ट हाउस के सामने राइमर कोचिंग के बगल में टीलेश्वर मंदिर तक नाला निर्माण जारी है।

इलाकाई लोगों का कहना है कि निर्माण के समय कायदे से नाले को पानी को निर्माणाधीन स्थल के पूर्व ही रोक देना चाहिए किन्तु निर्माण हो रहा है और नाले का पानी उसी तरह से बह रहा है। इतना ही नहीं निर्माण में मौरंग की जगह डस्ट का प्रयोग हो रहा है।

निर्माण के लिए एक-चार का मसाला बनना चाहिए किन्तु वहा एक-आठ का मसाला प्रयोग किया जा रहा है। सरिया भी 3 सूत की लगाई जा रही है। नगर निगम सूत्रों के मुताबिक इन नाले का बजट वार्ड 64 के पार्षद अरविन्द यादव के नाम से था। जिसमें 28 लाख रुपये का बजट था। जिसमें पार्षद ने यह कार्य एस. आर. जी. इन्टर प्राइजेज को सौप रखा है।

जिसमें गौर करें तो इस नाली के निर्माण में खास बात यह है कि राइमर कोचिंग से टीलेश्वर मंदिर में नाली की चौड़ाई और अधिक कम कर दी गई। निर्माण में कहीं भी किसी तरह के मानक नहीं दिखते। ऊंची खाली स्लेप व झांक रही जर्जर सरिया को दिखाते हुए।

लोग धांधली की बात कहकर व्यग्यात्मक लहजे में कहते हैं कि टीलेश्वर मंदिर से गल्ला मंडी वाली सड़क की नाली व नाले के निर्माण की अतिमहन्ती आवश्यकता थी। जो नाली व नाला पूरी तरह से ढ़ह चुकी है। उस निर्मल को छोड़ ही दिया गया।

जिससे बारिश में निर्माण वाली जगह भी घटिया निर्माण के चलते पानी में बह जाएगी। हास्याप्रद बात यह है कि निर्माण से पूर्व नाले नालियों की सिल्ट निकालकर पानी का बहाव रोकना चाहिये था। किन्तु निर्माण में हुई खानापूर्ति साफ-साफ दिखती है जिससे लोगों में आक्रोश है। 

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