जिला सहकारी बैकों के घोटालों की उच्च स्तरीय जांच की मांग

◆ 24 शाखाओं व मुख्यालय पर खरीददारी में भारी हेरफेर का आरोप
◆ झींझक, पुखराया की माडली कृत बैंक के नाम पर बड़ा खेल
◆ सभापति की टाटा सफारी के लिए प्रति माह 50 से 60 हजार रुपये तक का भुगतान
◆ शुगर मिल की सहायता मे खूब चली कमीशन बाजी

कानपुर देहात,माती संवाददाता। जिला सहकारी बैंक लिमिटेड की प्रतिनिधि एवं भाजपा की महिला नेत्री प्रीति पोरवाल ने 2018-2019 में जिलासहकारी बैंक पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर प्रशासन से संयुक्त जांच टीम गठित करने की मांग की है। ताकि सहकारी आंदोलन व जमा कर्ताओं को धक्का ना लगे। इस शिकायती पत्र में बैंक की 29 शाखाओं व मुख्यालय में वर्ष 2018-2019 में सी.सी.टी.वी कैमरे लगाए जाने टी. वी. मनिस्टर वाह डी.वी.आर. लगाया गया था। सी.पी. प्लस 2.4 एम. पी कैमरे की कीमत एक हजार चार सौ पचास रुपये बाजार के मुताबिक बताई जा रही हैं। जिसमें हर बैक के शाखाओं में चार कैमरा की कीमत 58,00 रुपये दर्शाई गयी। एल.ई. डी. मॉनीटर व डी. वी. आर. की कुल कीमत लगभग 14 हजार होती हैं इस प्रकार एक यूनिट की कुल लागत 20 हजार रुपये होती हैं। इसके विपरीत प्रति शाखा 80 हजार 4 सौ 89 रुपये का भुगतान किया गया है। इस प्रकार 29 शाखाओं व मुख्यालय मिलाकर कुल लागत भुगतान का 24 लाख रुपये दर्शाया गया है। जबकि महिला नेता पोरवाल के मुताबिक यह सामान 7 लाख रुपये से अधिक का नही बताया जा रहा है। जिसमें करीब 15 लाख के गवन का आरोप बैक प्रबंधक पर लगाया जा रहा है। जबकि उनके मुताबिक दस लाख रुपये से अधिक की खरीद- फरोख्त पर विज्ञापन देकर ई-टेंडर किया जाना चाहिए था किन्तु ऐसा नहीं किया गया। भाजपा नेत्री प्रीति पोरवाल ने इसी तरह 2019-2020 में बैक की पांच शाखाओं में नोट काउंटिंग मशीनो की खरीद में चार  लाख रुपये का घोटाला बताया गया है। इसी तरह कानपुर देहात की झिंझक व पुखराया बैंक को मॉडल बैंक करने के नाम पर लाखों के घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है। इसके अलावा बैंक के सभापति को टाटा सफारी (यू० पी०78 सी० क्यू० 9091) बैंक की ओर से दी गई। जिनमें पचास से साठ हजार रुपये का मासिक भुगतान सभापति के करीबी श्रवण कुमार सचान के किदवई नगर मुख्यालय शाखा के खाता संख्या के माध्यम से महावारी दी जा रही है। इसके अलावा नए सी.ए. की नियुक्ति में उंगली उठाई गयी है। निजी शुगर मिल में बैंक के पैसे की विवेश में कमीशन बाजी 2018-2019, 2019-2020 के वित्तीय वर्ष में स्टेशनरी से लेकर अन्य तरह की खरीददारी में भारी अनियमितता का आरोप है। जिससे बैंक पर निरंतर घाटे की चिंता दर्शाई गयी है।

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