के० एस० टी०, कानपुर।डीएफसी (डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर) का निर्माण तेजी से हो रहा है। इसके शुरू होते ही शहर का एक बड़ा हिस्सा जाम की समस्या से निजात पा जाएगा। दरअसल यहां आने वाले ट्रक शहर में प्रवेश नहीं करेंगे और शहर के बाहर बने वेयर हाउस से माल की लदान कर सकेंगे। शहर के बाहर से डीएफसी गुजरने के बाद से मालगाड़ियां शहर में आना बंद हो जाएंगी।
चूंकि सरसौल के पास लॉजिस्टिक पार्क बनाया जा रहा है ऐसे में व्यापारियों का सामान भी यहीं उतारा जाएगा और व्यापारी उसे ट्रकों के माध्यम से यहीं से उठान करा सकेंगे। इसका फायदा शहर को मिलेगा। करीब 400 ट्रकों का प्रवेश बंद होने से फजलगंज से घंटाघर और जीटी रोड पर लगने वाले जाम की समस्या भी समाप्त होगी। मेमू और पैसेंजर नहीं ठहरेंगी,
कानपुर में करीब सौ मालगाड़ियों का आवागमन प्रतिदिन होता है। कोरोना के चलते अभी तो ट्रेनें नहीं चल रही हैं, लेकिन सामान्य दिनों में मालगाड़ियों को रास्ता देने के लिए मेमू और पैसेंजर ट्रेनों को रोक दिया जाता है। इसकी वजह से घंटों ट्रेनें खड़ी रहती हैं और यात्री परेशान होते हैं। कानपुर से 18 मेमू और 12 पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं जो बीच में रोके जाने से अक्सर घंटों लेट होती हैं।
डीएफसी से बड़ा फायदा मेमू और पैसेंजर ट्रेनों को मिलेगा और इनकी चाल धीमी नहीं होगी। सीपीसी माल गोदाम बनेगा वेयर हाउस घंटाघर स्थित सीपीसी माल गोदाम में एक माह में 60 से 70 रैक आती है जबकि गोविद पुरी कंटेनर डिपो और पनकी लॉजिस्टिक पार्क में 30 से 40 रैक आती है। ऐसे में जब सरसौल के पास डीएफसी का लॉजिस्टिक पार्क बन जाएगा तो यहां ट्रेनों की आमद बहुत कम हो जाएगी।
रेलवे सूत्रों की माने तो सीपीसी माल गोदाम में भी ट्रेनों की आमद और कम हो जाएगी जिसके बाद इसे वेयर हाउस अथवा किसी अन्य कार्य में प्रयोग किया जाएगा। बता दें कोपरगंज जूही मालगोदाम का अस्तित्व पनकी और गोविद पुरी में कंटेनर डिपो बनने के बाद समाप्त हो गया। इसे वेयर हाउस बनाने पर विचार चल रहा है।
अधिकारियों का मानना है कुछ यही हाल सीपीसी माल गोदाम का भी होगा। दो कॉरीडोर बन रहे हैं, अधिकारियों के मुताबिक 81,400 करोड़ रुपये से डीएफसी का निर्माण किया जा रहा है। इसमें दो कॉरीडोर बनाए जा रहे हैं।
पहला ईस्टर्न कॉरीडोर लुधियाना से पश्चिम बंगाल दानाखोरी तक और दूसरा वेस्टर्न कॉरीडोर दिल्ली से जेएलएन पोर्ट ट्रस्ट नवी मुंबई तक बनाया जा रहा है। डीएफसी पर औसतन 100 किमी की गति से डबल डेकर गुड्स ट्रेन चलाने की भी तैयारी है।